बैठक के दौरान सरकार की ओर से सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किये गये संशोधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी. बताया गया कि वर्तमान में धारा 49 के तहत उचित मुआवजा देकर उद्योग एवं खनन कार्य के लिए आदिवासी भूमि लेने का प्रावधान है. इस प्रावधान में अन्य आधारभूत संरचना जैसे अस्पताल, आंगनबाड़ी केंद्र, सड़क एवं स्कूल आदि के लिए संबंधित परिवार की सहमति से चार गुना अधिक मुआवजा देकर भूमि प्राप्त करने का प्रावधान किया जा रहा है. वर्तमान में दो साल या उससे भी अधिक समय में जमीन अधिग्रहण पर मुआवजा मिलता है.
संशोधन होने से तीन माह में ही मुआवजा मिलेगा. नये प्रावधान के तहत जमीन लेने के पांच साल में अगर परियोजना पूरी नहीं होती है, तो जमीन रैयत को वापस कर दी जायेगी. इस स्थिति में रैयत को मुआवजा भी सरकार को वापस नहीं करना है. सरकार ने संशोधन के माध्यम से प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया है. जमीन पर आदिवासियों का मालिकाना हक भी बरकरार रहेगा. जिलाध्यक्षों से कहा गया कि विपक्षी दल जनता को दिग्भ्रमित करने का काम कर रहे हैं. भाजपा कार्यकर्ता जनता के साथ सीधा संवाद कर विपक्षी दलों द्वारा फैलायी जा रही भ्रांतियों के बारे में बतायें. कहा गया कि विकास को केंद्र बिंदु बना कर जनता के बीच जायें. उन्हें बतायें कि राज्य में 68 लाख परिवार हैं. पिछले 70 साल के दौरान सिर्फ 38 लाख घरों में बिजली पहुंच पायी है. अगले दो साल के दौरान शेष 30 लाख घरों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.