ग्रामसभा की अनदेखी बरदाश्त नहीं : प्रफुल्ल
नामकुम: राज्य सरकार पूंजीपतियों के हितों को साधने के लिए जिस प्रकार आदिवासियों व रैयतों को ताक पर रखने का काम कर रही है, यह कभी स्वीकार नहीं होगा. ग्रामसभा की अनदेखी कर सीएनटी तथा एसपीटी कानून में बदलाव के फैसले लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, जिसे झारखंड की जनता बरदाश्त नहीं करेगी. […]
नामकुम: राज्य सरकार पूंजीपतियों के हितों को साधने के लिए जिस प्रकार आदिवासियों व रैयतों को ताक पर रखने का काम कर रही है, यह कभी स्वीकार नहीं होगा. ग्रामसभा की अनदेखी कर सीएनटी तथा एसपीटी कानून में बदलाव के फैसले लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, जिसे झारखंड की जनता बरदाश्त नहीं करेगी. सरकार को ऐसे जनविरोधी संशोधन अविलंब वापस लेना चाहिए.
यह बातें शुक्रवार को नामकुम प्रखंड कार्यालय के घेराव के दौरान आदिवासी अधिकार मंच के राज्य संयोजक प्रफुल्ल लिंडा ने कही. मंच के कोषाध्यक्ष सुखनाथ लोहरा ने कहा कि सरकार रांची जिले में तकरीबन 310 एकड़ जमीन बिना ग्रामसभा की अनुमति के जियाडा को देने जा रही है, जो पेसा कानून व संविधान की पांचवीं अनुसूची का पूरी तरह उल्लंघन है.
नामकुम के सोडहा मौजा में बिना ग्रामसभा की अनुमति कचरा डंपिंग यार्ड बनाने का प्रस्ताव लाया जा रहा है, इसे सरकार को तुरंत रद्द करना चाहिए. एचइसी विस्थापितों व भूदान यज्ञ कमेटी द्वारा वितरित जमीन के लाभुकों के नाम अब तक खाता नहीं खोला गया है, यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. बेरोजगारी व गरीबी से घिरी जनता के हित के लिए बंद पड़े कल-कारखानों को चालू करने व स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार की गारंटी देने की मांग की गयी. घेराव के बाद उपायुक्त के नाम सीओ मनोज कुमार को मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा गया. मौके पर कृपा खलखो, तादीस लिंडा, जुरा पाहन, पीयूष सांगा, सोमा मुुंडा, प्रकाश टोप्पो, वीणा लिंडा, मंगरा कच्छप, अनिमा तिर्की, चंपा टोप्पो सहित काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.