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सीएनटी-एसपीटी में संशोधन के खिलाफ आदिवासी संगठनों की बैठक कल

रांची. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ झारखंड आदिवासी संघर्ष मोरचा अौर 40 सहयोगी संगठनों की बैठक सात नवंबर को होगी. आठ नवंबर को सरकार का पुतला दहन करने की भी तैयारी है. बैठक में आंदोलन तेज करने की रणनीति बनायी जायेगी. मोरचा के नेताअों का मानना है कि इस मामले में सरकार आदिवासी-मूलवासी जनता […]

रांची. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ झारखंड आदिवासी संघर्ष मोरचा अौर 40 सहयोगी संगठनों की बैठक सात नवंबर को होगी. आठ नवंबर को सरकार का पुतला दहन करने की भी तैयारी है. बैठक में आंदोलन तेज करने की रणनीति बनायी जायेगी. मोरचा के नेताअों का मानना है कि इस मामले में सरकार आदिवासी-मूलवासी जनता को भ्रम में रख रही है. एक्ट में संशोधन करने से आदिवासी जमीन की लूट तेज होेगी.

मोरचा के संयोजक सह प्रवक्ता प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि सीएनटी एक्ट की धारा 21 अौर एसपीटी एक्ट की धारा 13 में बदलाव से कृषि भूमि को गैरकृषि भूमि किया जा सकेगा. यह बदलाव आदिवासी-मूलवासी जनता के खिलाफ है.

कृषि भूमि के गैर कृषि भूमि में परिवर्तित हो जाने से उस जमीन पर गैर आदिवासियों का कब्जा होने की संभावना बढ़ जायेगी. डॉ करमा उरांव ने कहा कि तमाम कानूनों के होते हुए भी झारखंड में बड़े पैमाने पर आदिवासी जमीनों की लूट हुई है. अगर कृषि भूमि का नेचर बदलता है, तो भविष्य में सरकार या पूंजीपति उसे आसानी से अधिग्रहित कर सकते हैं. कहा जा रहा है कि इस तरह की जमीन का इस्तेमाल नहीं होने पर पांच साल के अंदर उसे रैयत को वापस कर दिया जायेगा, पर आज तक ऐसा एक भी उदाहरण नहीं है कि सरकार ने जमीन वापस करने की मंशा दिखायी हो. टीएसी की सहमति का भी कोई मतलब नहीं है. एक विधायक ने सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है अौर कई सदस्य बैठक में नहीं आये, तो कैसे कुछ सदस्यों की राय को पूरा आदिवासी समुदाय पर थोपा जाना चाहिए.

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