टाउन प्लानिंग में हम फिसड्डी रह गये

रांची: राजधानी रांची को टाउन प्लानिंग के मोरचे पर फिसड्डी कहा जा सकता है. राज्य गठन के बाद से अब तक शहर में ट्रैफिक सुधार का कोई ऐसा बड़ा काम नहीं हुआ, जिससे लोग रोजाना के जीवन में राहत महसूस कर सकें. इस कड़ी में रिंग रोड का नाम जुड़ सकता था. पर इसके पहले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 17, 2016 1:02 AM
रांची: राजधानी रांची को टाउन प्लानिंग के मोरचे पर फिसड्डी कहा जा सकता है. राज्य गठन के बाद से अब तक शहर में ट्रैफिक सुधार का कोई ऐसा बड़ा काम नहीं हुआ, जिससे लोग रोजाना के जीवन में राहत महसूस कर सकें. इस कड़ी में रिंग रोड का नाम जुड़ सकता था. पर इसके पहले व सातवें चरण का ज्यादातर काम अब भी बाकी हैं.

नली-नाले, गली व स्ट्रीट लाइट के मुद्दों को छोड़ दिया जाये, तो बेहतर सड़क व पुल-पुलिया सहित फ्लाइअोवर आज की रांची की सख्त जरूरत है. शहर के लोग रोजाना के जाम से बेदम हैं. आबादी व वाहनों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. नतीजतन सड़कों पर ट्रैफिक का भारी दबाव है. कांटीटोली-बूटीमोड़ सड़क हाइवे पर तो जगह-जगह गड्ढे हैं तथा इसकी चौड़ाई भी कम है. अफसोस यह है कि सरकारों ने न तो काम किया न ही विशेषज्ञों की सलाह मानी, जिससे शहर कम से कम सांस तो ले सकता था. आर्किटेक्ट राजीव चड्ढा ने प्रभात खबर के जरिये शहरी व्यवस्था में सुधार संबंधी कुछ सुझाव दिये थे. हालांकि, इनमें से किसी पर अमल नहीं हुआ.
केके सोन के सुझाव
उधर जनवरी 2015 में परिवहन सचिव रहते केके सोन ने भी शहर की बेहतरी खासकर परिवहन व्यवस्था में सुधार के लिए कुछ सुझाव दिये थे. दो तरह के सुझाव थे. तात्कालिक व दीर्घकालिक. तात्कालिक सुझावों में कुल जरूरत (तीन हजार) के अतिरिक्त शेष अॉटो (अब इ-रिक्शा भी) पर प्रतिबंध, खराब ट्रैफिक सिग्नल को तुरंत दुरुस्त करना (यह सतत प्रक्रिया है), सड़क के किनारे अतिक्रमण हटाना, अवैध स्टैंड हटाना तथा अॉटो रिक्शा व बसों के ठहराव के लिए स्टॉपेज निधार्रित करने (आज तक नहीं हुआ) जैसे सुझाव थे. वहीं दीर्घकालिक सुझावों में शहरी व अर्द्ध शहरी क्षेत्र के लिए यातायात संबंधी विस्तृत योजना तैयार करना, शहरी क्षेत्र में मोनोरेल का विकल्प खुला रखना, शहर के प्रमुख स्थानों (सुजाता चौक, चर्च कांप्लेक्स, सैनिक मार्केट, कांटाटोली चौक व लालपुर चौक सहित अन्य) पर मल्टी लेबल पार्किंग की व्यवस्था करने, फुटपाथ दुकानदारों के पुनर्वास की विस्तृत योजना तैयार करने तथा अवैध ढंग से निर्मित भवनों का निरीक्षण कर इसे सुधारने जैसी बात थी.

श्री सोन का एक महत्वपूर्ण सुझाव यह भी था कि जितनी जल्दी हो सके रिंग रोड का निर्माण पूरा कर लिया जाये. इससे शहर के विभिन्न कोनों तक रिंग रोड से पहुंचा जा सकेगा. पर यह काम आज तक बाकी है. उसी तरह इंटर स्टेट बस टर्मिनल व ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण शहर के बाहर पर रिंग रोड या हाइवे के पास करने का सुझाव भी दिया गया था. पर सवाल है कि इन सुझावों पर अमल करेगा कौन. इधर रांची नगर निगम भी लाचार बना रहा है. इसके उप मेयर पहले राज्य में स्थायी व मजबूत सरकार न होने को निगम की लाचारी बताते थे. पर अब जब सरकार स्थायी भी है व मजबूत भी, तब निगम के पार्षद व अन्य बैठकों में लड़ते-झगड़ते हैं.
स्टडी टूर पर बाहर गये, पर कुछ किया नहीं
पहले मुंबई : रांची नगर निगम के पार्षदों व अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल वर्ष 2010 में मुंबई महानगर पालिका के स्टडी टूर पर गया था. वहां आठ दिनों तक ट्रैफिक सुधार, सिवरेज ड्रेनेज तथा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र का अध्ययन किया गया. इस यात्रा पर कुल चार लाख रुपये खर्च हुए थे.
फिर कोच्ची : इसके बाद निगम के लोग वर्ष 2012 में केरल के कोच्ची गये थे. पार्षदों व अधिकारियों ने कोच्ची नगर निगम का दौरा कर होल्डिंग टैक्स वसूली, जल प्रबंधन तथा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट मॉडल की जानकारी ली थी. इन दोनों यात्रा के बाद भी शहर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का काम वर्ष 2016 में भी अधूरा है. कोच्ची की यात्रा पर अाठ लाख रुपये खर्च हुए थे.
उप मेयर गये थे श्रीलंका : वहीं रांची नगर निगम के उप मेयर संजीव विजयवर्गीय मई 2014 में श्रीलंका (कैंडी) गये थे. एक सप्ताह के कैंडी टूर के बाद वापस लौटकर उप मेयर ने कहा था कि वह कैंडी की व्यवस्था रांची में भी लागू करेंगे.
आर्किटेक्ट चड्ढा के सुझाव
सदर अस्पताल की दीवार को मौजूदा जगह से कम से कम 20 फीट पीछे करना
सुजाता चौक के पास तथा वेलफेयर सिनेमा की जमीन अधिग्रहण कर वहां मल्टी स्टोरी पार्किंग बनाना
चडरी से इस्ट जेल रोड को जोड़ने के लिए एक नयी सड़क का निर्माण करना
कांटाटोली चौक से सटे सभी अॉटो स्टैंड को वहां से हटाना तथा टेंपो व बसों के ठहराव पर प्रतिबंध लगाना
अलबर्ट एक्का चौक से चडरी जाने वाली रास्ते के कोने में बने तिकोने आकार का निर्माण हटाना
शहीद चौक से हरमू रोड तक की सड़क 80 फीट तक चौड़ी करना
कचहरी चौक से लालपुर चौक मार्ग पर स्थित सरकारी भवनों की चहारदीवारी को दोनों अोर 20-20 फीट पीछे करना

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