झारखंड : सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ विपक्ष ने किया प्रदर्शन, तय हाेगी आगे की रणनीति
रांची : झारखंडमेंलागू सीएनटी (छोटानागपुर टीनेंसी) एक्ट व एसपीटीएक्टमें संशोधन के खिलाफ विधानसभा के बाहर गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया. विपक्षी विधायक हाथों व गलों में तख्तियां लटकाये हुए थे, जिसमें संशोधन के विरोध में नारे लिखे थे. तख्तियों में यह भी लिखा था कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन को तुरंत रद्द किया […]
रांची : झारखंडमेंलागू सीएनटी (छोटानागपुर टीनेंसी) एक्ट व एसपीटीएक्टमें संशोधन के खिलाफ विधानसभा के बाहर गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया. विपक्षी विधायक हाथों व गलों में तख्तियां लटकाये हुए थे, जिसमें संशोधन के विरोध में नारे लिखे थे. तख्तियों में यह भी लिखा था कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन को तुरंत रद्द किया जाये. प्रदर्शन करने वालों में झाविमो के प्रदीप यादव, कांग्रेस के सुखदेव भगत, आलमगीर आलम सहित अन्य नेता शामिल थे.
वहीं झामुमो विधायक दल व विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा है कि कैबिनेट कोई भगवान नहीं है. आज दोपहरएकबजे से विपक्ष के नेता इस मुद्दे पर आगे की रणनीति तय करेंगे.
कैबिनेट ने संशोधित विधेयक प्रस्ताव को किया है मंजूर
बताते चलें कि झारखंड कैबिनेट ने बुधवार को सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन संबंधी अध्यादेश में बदलाव कर संशोधित विधेयक प्रारूप को मंजूर किया है. संशोधित विधेयक प्रारूप में जमीन का मालिकाना हक यथावत रखने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है. वहीं, राष्ट्रपति को भेजे गये अध्यादेश में मालिकाना हक को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था. बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पारित इस संशोधित विधेयक प्रारूप को गुरुवार से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जायेगा.
कैबिनेट ने सीएनटी व एसपीटी में संशोधन के लिए तैयार दो विधेयक प्रारूपों को मंजूर किया है. एसपीटी एक्ट की धारा-13 में संशोधन के लिए तैयार किये गये विधेयक प्रारूप में इसका स्पष्ट उल्लेख है कि कृषि योग्य भूमि का गैर कृषि कार्यों में उपयोग करने पर किसी भी स्थिति में रैयत का मालिकाना हक खत्म नहीं होगा. संबंधित भूखंड पर इसका टाइटल, मालिकाना हक बना रहेगा. मालिकाना हक एसपीटी एक्ट 1949 के सुसंगत प्रावधानों के तहत बना रहेगा. पहले मालिकाना हक बने रहने का उल्लेख नहीं था.
सीएनटी एक्ट की धारा 21 में संशोधन के लिए तैयार किये गये विधेयक प्रारूप में इसका स्पष्ट उल्लेख है कि कृषि योग्य जमीन का उपयोग गैर कृषि कार्यों में करने पर भी रैयत का मालिकना हक कायम रहेगा. पहले इस धारा में मालिकाना हक का स्पष्ट उल्लेख नहीं था. पहले सीएनटी एक्ट की धारा-49 में सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लिए उपायुक्त की अनुमति से सिर्फ खनन और उद्योगों के लिए जमीन हस्तांतरित करने का प्रावधान किया गया था. इसमें संशोधन कर 1 (सी) उपधारा जोड़ी गयी है. इस उपधारा में सरकारी कल्याणकारी योजनाओं सड़क, सिंचाई, बिजली, रेल, पेयजल, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, विश्वविद्यालय व आंगनबाड़ी के लिए भी जमीन हस्तांतरित करने का प्रावधान किया गया है.
जमीन का उपयोग पांच साल में नहीं करने पर रैयतों को वापस : सीएनटी एक्ट की धारा 49 (2) को पूर्व की तरह (राष्ट्रपति को भेजे गये अध्यादेश की तरह) ही रखा गया है. इस धारा में सरकारी कल्याणकारी कार्यों, उद्योग व खनन के लिए हस्तांतरित की गयी जमीन का उपयोग पांच साल के अंदर नहीं करने पर मूल रैयत को वापस करने का प्रावधान किया गया है. जमीन वापसी की स्थिति में भी रैयत को दी जा चुकी मुआवजे की रकम उससे वापस नहीं ली जायेगी. सीएनटी की मूल धारा-49 (2) में पहले जमीन का उपयोग नहीं करने पर वापसी के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं थी.