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शरीअत में कोई छेड़छाड़ की जाती है, तो इसे हम बरदाश्त नहीं करेंगे

रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब तक इजराइल और अमेरिका के चक्कर में रहेंगे तब तक वे परेशान रहेंगे. यह कहना था पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम रसूल बलयावी का. वे शनिवार को उर्स मैदान डोरंडा में एदार-ए-शरीया की ओर से आयोजित ‘शरीअत बचाआे कांफ्रेंस’ को संबाेधित कर रहे थे. केंद्र सरकार के विधि आयोग ने शरीअत […]

रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब तक इजराइल और अमेरिका के चक्कर में रहेंगे तब तक वे परेशान रहेंगे. यह कहना था पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम रसूल बलयावी का. वे शनिवार को उर्स मैदान डोरंडा में एदार-ए-शरीया की ओर से आयोजित ‘शरीअत बचाआे कांफ्रेंस’ को संबाेधित कर रहे थे. केंद्र सरकार के विधि आयोग ने शरीअत में कुछ बिंदुअों पर परिवर्तन को लेकर लोगों से राय मांगी है, जिसका विरोध हो रहा है. यह कांफ्रेंस इसी के मद्देनजर बुलायी गयी थी.

बलयावी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को दूसरे के कहने पर नहीं चलने को कहा. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वे संसद में खुली बहस करायें अौर इस पर कानून बनायें. उन्होंने कहा कि इसमें किसी भी तरह की यदि कोई छेड़छाड़ की जाती है, तो हम बरदाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को यदि हमारी परीक्षा लेनी है, तो सेना सहित अन्य जगहों पर हमारे 30 प्रतिशत युवाअों को इसमें जगह दी जाये हम बॉर्डर नहीं इस्लामाबाद में तिरंगा फहरायेंगे अौर उसे मिलाकर शासन करेंगे. उन्होंने इस दौरान कई शेर भी पेश किये, जिसे लोगों ने काफी सराहा.
हमें बांटने की कोशिश
अमेरिका के बोस्टन से आये अल हेजाज फाउंडेशन के अध्यक्ष डाॅ गुलाम जरकानी कादरी ने कहा कि इस बदलाव के माध्यम से इसलाम व मुसलमानों को बांटने की कोशिश हो रही है. इसे हम कभी सफल नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि इसलामी शरीअत कोई आज की चीज नहीं है. कोई इसमें परिवर्तन नहीं कर सकता है. इसलाम ही एक ऐसा धर्म है, जो तेजी से पूरी दुनिया में फैल रहा है.
सुप्रीम कोर्ट में सरकार का हलफनामा अलोकतांत्रिक
सम्मेलन में शगुफ्ता यासमीन व खुशबू खान ने कहा कि शरीअत में बदलाव हमें मंजूर नहीं है. मौलाना हबीब आलम, मौलाना जसीमउद्दीन, डाॅ ताजउद्दीन ने भी अपनी बातें को रखीं. वक्ताअों ने कहा कि सरकार द्वारा तलाक-ए-सलासा के संबंधित सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया गया है वह अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड, में सीधे हस्तक्षेप है. इसे मुसलमान बरदाश्त नहीं करेंगे. एकता और अखंडता के लिए केंद्र सरकार को अपना हलफनामा वापस लेने का निर्देश दिया जाये. कार्यक्रम का संचालन मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने किया अौर तकरीर पेश की. कार्यक्रम में राज्य भर उलेमा, बुद्धिजीवी सहित अन्य गण्यमान्य लोग आये थे. इसके अलावा उर्स कमेटी के अध्यक्ष हाजी रउफ गद्दी, आजम अहमद, फारूख अंसारी, सहित अन्य लोग उपस्थित थे. शायर दिलकश रांचवी ने अपनी शायरी से खूब वाहवाही लूटी.
काफी संख्या में आयीं थीं महिलाएं
सम्मेलन में शामिल होने के लिए काफी संख्या महिलाएं भी आयी थीं. उन्होंने भी कहा कि वे भी आंदोलन से पीछे नहीं हटनेवाली हैं. शरीअत में किसी तरह का बदलाव हमें मंजूर नहीं है . उनके लिए अलग से बैठने की व्यवस्था की गयी थी.
उर्स का निमंत्रण : उर्स मैदान में 15 दिसंबर से शुरू होनेवाले सालाना उर्स में शामिल होने के लिए मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों ने सम्मेलन के दौरान सभी लोगों को निमंत्रण भी दिया .
सभा में पारित कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव
मुसलिम पर्सनल लॉ, हर तरह से मुसलमानों के लिए है, इसमें किसी तरह का बदलाव स्वीकार नहीं
देश की न्याय व्यवस्था पर भरोसा है, पर कॉमन सिविल कोड लागू करना भारत की न्याय व्यवस्था के विरुद्ध
तीन तलाक का मुद्दा इसलामिक न्याय से जुड़ा हुआ है, जिसे हर हाल में सुरक्षित रखा जाना चाहिए
वर्तमान राजनीतिक संकट काे सहानुभूति पूवर्क देखें और इसमें हस्तक्षेप कर मुसलमानों को संकट से बचायें

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