सीएनटी एक्ट में थाना क्षेत्र की बाध्यता होगी खत्म, सरकार कर रही विचार, टीएसी में आयेगा प्रस्ताव !
रांची : झारखंड सरकार सीएनटी एक्ट में एक और संशोधन कर आदिवासियों की जमीन की खरीद-बिक्री से संबंधित प्रावधान में परिवर्तन करने जा रही है. सीएनटी एक्ट की धारा 46 ए में किसी आदिवासी की जमीन उसी थाना क्षेत्र के आदिवासी को ही बेचने-खरीदने का प्रावधान है. सरकार इस प्रावधान में बदलाव कर आदिवासी जमीन […]
रांची : झारखंड सरकार सीएनटी एक्ट में एक और संशोधन कर आदिवासियों की जमीन की खरीद-बिक्री से संबंधित प्रावधान में परिवर्तन करने जा रही है. सीएनटी एक्ट की धारा 46 ए में किसी आदिवासी की जमीन उसी थाना क्षेत्र के आदिवासी को ही बेचने-खरीदने का प्रावधान है. सरकार इस प्रावधान में बदलाव कर आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री के लिए थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त करने पर विचार कर रही है. इस मुद्दे पर ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता में बनी टीएसी की उपसमिति विचार कर रही है है.
कमेटी की सिफारिश के बाद आदिवासी परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) में इस आशय का प्रस्ताव लाया जायेगा. हालांकि, थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त करने के बाद भी आदिवासियों को अकूत जमीन खरीदने की अनुमति नहीं होगी. सूत्र बताते हैं कि इसकी अधिकतम सीमा भी निर्धारित की जा रही है. यानी सीलिंग लगायी जा रही है. …
टीएसी की बैठक में आया था प्रस्ताव : आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री में थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त करने से संबंधित प्रस्ताव पूर्व में टीएसी की बैठक में आ चुका है. 27 सितंबर 2014 को टीएसी में पेश प्रस्ताव में कहा गया था कि जमीन की खरीद-बिक्री के लिए क्रेता और विक्रेता को उसी थाना क्षेत्र का होना अनिवार्य बताया गया है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यह प्रावधान अव्यावहारिक हो गया है. कई लोग नौकरी और शिक्षा के लिए दूसरे स्थान पर रहते हैं. आदिवासी होने के कारण उन्हें आदिवासी जमीन खरीदने का अधिकार मिलना चाहिए, लेकिन सीएनटी एक्ट की धारा 46 ए इसकी अनुमति नहीं देती है. इस वजह से थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त कर देनी चाहिए.
1947 में जोड़ा गया था प्रावधान
1908 में बने सीएनटी एक्ट में वर्ष 1947 में महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री के लिए क्रेता और विक्रेता का आदिवासी समुदाय से होना और एक ही थाना क्षेत्र का वासी होना अनिवार्य करने संबंधी प्रावधान जोड़ा गया था. इस प्रावधान में अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग की जमीन की खरीद-बिक्री के लिए क्रेता और विक्रेता का एक ही जिले का निवासी होने की अनिवार्यता से संबंधित प्रावधान भी किया गया था.
टीएसी उपसमिति की बैठक में कई प्रस्ताव पास
तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा के लिए 7.5 लाख तक के लोन लेनेवाले डिफॉल्टर एसटी युवाओं का शिक्षा ऋण सरकार चुकायेगी
हाउसिंग लोन के लिए एसटी समुदाय के लोग 30 वर्षों तक बंधक रख सकते हैं अपनी जमीन
बिजनेस लोन के लिए भी जमीन बंधक रखने की समय सीमा 30 वर्ष