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Coronavirus Outbreak: झारखंड में संक्रमित 90 फीसदी लोगों में कोई गंभीर लक्षण नहीं, पौष्टिक आहार और सामान्य दवा से हो रहे ठीक

कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण काे लेकर पूरे विश्व में खौफ का माहौल है. हालांकि, समय और स्थान के अनुसार मानव शरीर पर इस वायरस के प्रभाव को लेकर कई शोध करनेवाली बातें सामने आ रही हैं. जैसे-कई मरीजों में इस बीमारी के न तो लक्षण दिख रहे हैं और न ही उन्हें किसी प्रकार की शारीरिक परेशानी हो रही है

राजीव पांडेय, रांची : कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण काे लेकर पूरे विश्व में खौफ का माहौल है. हालांकि, समय और स्थान के अनुसार मानव शरीर पर इस वायरस के प्रभाव को लेकर कई शोध करनेवाली बातें सामने आ रही हैं. जैसे-कई मरीजों में इस बीमारी के न तो लक्षण दिख रहे हैं और न ही उन्हें किसी प्रकार की शारीरिक परेशानी हो रही है. वहीं, संक्रमित मरीजों के बेहद करीब रहनेवाले उनके परिजन या मित्र इस वायरस के संक्रमण की चपेट में आने से बच गये. राज्य में 1300 से ज्यादा टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी हैं. ये सभी टेस्ट कांटेक्ट ट्रेसिंग के हैं. मतलब सभी किसी न किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में आये, पर ये संक्रमण से बच गये. खास बात यह है कि कोरोना वायरस से संक्रमित कई मरीज अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता और पौष्टिक भोजन के दम पर इस बीमार से जंग जीत चुके हैं. झारखंड में अब तक स्वस्थ हो चुके 29 कोरोना संक्रमित मरीज भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं. ये झारखंड के लिए कुछ सकारात्मक संकेत हैं.

1. झारखंड में अधिकतर मरीजों में न तो लक्षण दिख रहे हैं और न ही उन्हें किसी प्रकार की शारीरिक परेशानी हो रही है.

2. ज्यादातर मामलो में संक्रमित लोग अपने परिजन, मित्रों और अन्य लोगों के संपर्क में आये, पर उनकी रिपोर्ट निगेटिव आयी. मतलब झारखंड में संक्रमण का फैलाव भी अन्य जगहों की तुलना में नियंत्रित है.

झारखंड के विभिन्न जिलों में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए कोविड-19 अस्पताल बनाये गये हैं. इन अस्पतालों से अब तक 29 संक्रमित मरीज स्वस्थ हो कर बाहर निकल चुके हैं. इनमें से ज्यादातर मरीजों में कोरोना से संबंधित कोई लक्षण नहीं था. ये लोग 14 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे. पौष्टिक खाना खाया, कुछ सामान्य दवाएं लीं और स्वस्थ हो गये. विशेषज्ञों की मानें, तो राज्य में अबतक जिनते भी कोरोना संक्रमित मिले हैं, वे सभी ‘ए सिम्टमेटिक’ हैं, जो देखने में पूरी तरह स्वस्थ लगते हैं. अब तक कोई ऐसा संक्रमित नहीं मिला, जिसे वेंटिलेटर पर रखकर इलाज करना पड़ा हो.

रिम्स के कोविड-19 अस्पताल से स्वस्थ होनेवाले ‘ए सिम्टमेटिक’ की संख्या सबसे ज्यादा 15 है. बोकारो के छह और हजारीबाग के दो संक्रमित भी बिना लक्षण वाले ही हैं. फिलहाल, रिम्स में 56 कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है. नौ दिन पहले भी इनमें बीमारी का कोई लक्षण नहीं दिख रहा था और न ही आज दिख रहा है. ये सभी संक्रमित भी ‘ए सिम्टमेटिक’ ही हैं. इन्हें सामान्य दवाएं ही दी जा रही हैं. इसके अलावा प्रोटीन और पौष्टिक खाना दिया जा रहा है.

केस स्टडी 1 कांके की एक कोरोना पॉजिटिव छात्रा को 27 अप्रैल को रिम्स के कोविड-19 अस्पताल में भर्ती कराया गया था. छात्रा ने बताया कि जब उसे अस्पताल लाया गया तब भी उसमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं था. वह नौ दिन से रिम्स में भर्ती है, लेकिन अब तक छींक तक नहीं आयी है. बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सांस लेने में तकलीफ व खांसी की तो कोई बात ही नहीं है. वह सामान्य रूप से अपने कॉलेज का आॅनलाइन क्लास भी कर रही है.

केस स्टडी 2 कडरू निवासी एक छात्र भी 27 अप्रैल को रिम्स के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था. छात्र ने बताया कि उसके बचपन का एक दोस्त हिंदपीढ़ी का रहनेवाला है. वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया था. मैं एक माह पहले उससे मिला था, इसलिए मैंने स्वेच्छा से 24 अप्रैल को जांच के लिए सैंपल दिया. मेरी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आयी. नौ दिन से रिम्स में भर्ती हूं, लेकिन कोरोना का कोई लक्षण न तो पहले था और न ही अब है.

केस स्टडी 3- बेड़ो निवासी एक व्यक्ति ने कहा : मैं गुजरात के द्वारिका गया हुआ था. छह मार्च को वहां से घूमकर लौटा. मुझे लगा कि जांच करा लेना चाहिए. मुझमें कोई लक्षण नहीं था, लेकिन जांच के लिए सैंपल दिया. 27 अप्रैल को जिला प्रशासन की टीम ने पॉजिटिव बताते हुए मुझे रिम्स में लाकर भर्ती करा दिया. पिछले नौ दिन से रिम्स में भर्ती हूं, लेकिन अब तक बीमारी का कोई लक्षण नहीं आया है. अब तो दोबारा जांच करने का दिन भी आ गया है. संपर्क में आये 14,046 की हुई जांच, 13931 आये निगेटिवराज्य में कोरोना संक्रमितों के संपर्क में आये 14,046 की जांच करायी गयी, जिसमें से 13,931 की रिपोर्ट निगेटिव आयी है.

यानी संक्रमित लोगों के संपर्क में रहने के बाद भी इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) ठीक होने के कारण ये लोग पॉजिटिव नहीं हो पाये. वैसे ही कुछ लोग संक्रमित पाये गये, जिनकी इम्युनिटी थोड़ी कमजोर थी. वह संक्रमित तो हुए, लेकिन उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत खराब नहीं थी कि उनकी स्थिति बिगड़ जाये.संक्रमितों के परिवार के लोग निगेटिव, यह शोध का विषय राज्य में ‘ए सिम्टमेटिक’ संक्रमित पॉजिटिव होन के बाद भी अपने परिवार को संक्रमित नहीं कर पाये यह डॉक्टर व वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय है. रिम्स में भर्ती कांके व कडरू निवासी विद्यार्थी के परिवार वाले निगेटिव पाये गये हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि परिवार के सदस्याें की उम्र इनसे ज्यादा थी.

सोशल मीडिया पर कोरोना संक्रमित का खुलासा कर आप कर रहे अपराध रिम्स के कोविड अस्पताल में भर्ती एक संक्रमित विद्यार्थी के फेसबुक एकाउंट पर लाेगों ने तरह-तरह के कॉमेंट कर रहे है. विद्यार्थी के पॉजिटिव आने की सूचना का प्रचार किया. उससे मिलने व उसकी दुकान से कोई सामान नहीं खरीदने की नसीहत देने लगे. अब यह विद्यार्थी का कहना है कि इससे तो उसका दुकान ही बंद हो जायेगी. कोई मेरी दुकान पर आयेगा ही नहीं.

ए सिम्टमेटिक’ संक्रमितों की संख्या सबसे ज्यादा है. ऐसे मरीज को आइसोलेशन वार्ड में भी रखकर स्वस्थ किया जा सकता है. मैंने सरकार से आग्रह भी किया था कि ऐसे मरीजों से रिम्स का लोड अनावश्यक बढ़ रहा है. इनकी व्यवस्था कही और की जा सकती है. डॉ दिनेश कुमार सिंह, निदेशक, रिम्स \\B

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