Jharkhand News, Ranchi News रांची : कोरोना व लॉकडाउन के कारण कपड़ा उद्योग में काम करनेवाली 90% महिलाएं या तो बुरी तरह प्रभावित हुई हैं या फिर वे बेरोजगार हो गयी हैं. सामाजिक सुरक्षा उपायों की कमी, जागरूकता, डॉक्यूमेंटशन की जटिल प्रक्रिया, मजदूरी नहीं मिलना व परिधान उद्योगों द्वारा श्रमिकों की बुनियादी उपेक्षा ने महिला प्रवासी श्रमिकों के लिए मुश्किल पैदा की है.
श्रम विभाग की पहल पर चेंज अलायंस, फिया, सीएससीडी, बीएचआर और यूएनडीपी संस्था ने झारखंड, बिहार व यूपी की उन महिलाओं पर सर्वे किया है, जो दूसरे राज्यों में जाकर परिधान क्षेत्र में काम करती हैं. होटल कैपिटोल हिल में परिधान क्षेत्र में प्रवासी महिला कामगारों के लिए कानून के बारे में जागरूकता और उपाय तक पहुंच विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने सर्वे की रिपोर्ट जारी की.
चेंज अलायंस की वरीय प्रबंधक डॉ अर्चना शुक्ला ने बताया कि तमिलनाडु, दिल्ली और अन्य राज्यों में जाकर काम करनेवाली झारखंड की 228, बिहार की 216, यूपी की 202 और अन्य राज्यों की 22 महिलाओं पर सर्वे किया गया. इसमें 60 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि कोरोना की वजह से उन्हें 15 से 25 हजार रुपये तक कर्ज लेना पड़ा. 10 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उनसे जबरन ओवर टाइम कराया जाता था, पर अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं किया जाता था. रात नौ बजे के बाद भी काम करना पड़ता था.
आम दिनों में भी 12 से 14 घंटे तक काम करना पड़ता था. 80 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान जीवनयापन को लेकर काफी परेशानी हुई.36 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि घर वापस लौटने में सरकार का सहयोग मिला. 64 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें उनके वेज व अधिकार के बारे में जानकारी नहीं है. 42 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें कोई लिखित रोजगार नहीं मिला.
40 % को इएसआइ और पीएफ का लाभ नहीं : डॉ अर्चना ने बताया कि सर्वे में पता चला कि 40% महिला कामगारों का इएसआइ और पीएफ में नाम नहीं है. 50%महिलाओं को पूरी अवधि का मातृत्व अवकाश नहीं मिला. 79% ने कहा कि उन्हें कारखाना से घर तक जाने के लिए ड्राॅप फैसिलिटी नहीं मिलती है.
सर्वे में पता चला कि 50% महिला कामागारों को यौन उत्पीड़न का सामना भी करना पड़ा है. वहीं, बच्चों को दयनीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ा.