तबादले को लेकर विभागों में शुरू हो गयी सुगबुगाहट

रांची : दिसंबर आने के बाद से अफसरों-इंजीनियरों-डॉक्टरों के तबादले की कवायद शुरू हो गयी है. इसे लेकर अब सुगबुगाहट हो रही है. अच्छा जगह पाने की तलाश मे कई लगे हुए हैं. वहीं कई अच्छी जगह से न हट जायें, इसके लिए प्रयासरत हैं. सभी अपने-अपने स्तर से लगे हुए हैं. कई तो अभी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2016 1:11 AM
रांची : दिसंबर आने के बाद से अफसरों-इंजीनियरों-डॉक्टरों के तबादले की कवायद शुरू हो गयी है. इसे लेकर अब सुगबुगाहट हो रही है. अच्छा जगह पाने की तलाश मे कई लगे हुए हैं. वहीं कई अच्छी जगह से न हट जायें, इसके लिए प्रयासरत हैं. सभी अपने-अपने स्तर से लगे हुए हैं. कई तो अभी तक बेहतर माध्यम की ही तलाश कर रहे हैं. जिन्हें माध्यम नहीं मिल रहा है या उनकी पहुंच सही जगह तक नहीं हो पा रही है, वे अपना व अपने परिजन के चिकित्सकीय रिपोर्ट लेकर घूम रहे हैं. कुल मिला कर अधिकतर अफसरों का ध्यान तबादले को लेकर होनेवाली स्थापना समिति की बैठकों व उसके फलाफल पर लगा हुआ है.
पीडब्ल्यूडी में तो कनीय अभियंता से लेकर अधीक्षण अभियंता स्तर के इंजीनियर सक्रिय दिख रहे हैं. संबंधित विभागों का तो खेल ही अजीब है. जूनियर होने के बावजूद ऊंचे पदों पर काबिज होने की होड़ लगी हुई है. कई सहायक अभियंता अपने से ऊंचे कार्यपालक अभियंता का पद पाने के लिए एड़ी-चोटी कर रहे हैं. इसी तरह कुछ कार्यपालक अभियंता भी ऊंचा पद पाने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं.
नवंबर से ही लगने लगता था दरबार : पहले तबादले का मौसम (जून व दिसंबर) आते ही दरबार लगने लगता था. नवंबर से ही सेटिंग शुरू हो जाती थी. अलग-अलग जगहों पर दरबार चलता था. अफसरों से लेकर नेताअों व मध्यस्थता करनेवालों के घर भीड़ होती थी. मंत्री के पीए के यहां भी जमावड़ा होता था. राजनीतिक दलों के नेताअों के सिफारिश पत्र भी पहुंचते थे. स्थापना समिति की बैठकों के फैसलों को बदलने की परंपरा भी होती रही है. यहां तक कि जनवरी में भी तबादला आदेश बैक डेट (दिसंबर) से होता था.

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