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क्रिसमस में भी फीका रहा कपड़ों का बाजार

रांची : नोटबंदी को 47 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अन्य व्यवसायों की तरह राजधानी रांची के कपड़ा बाजार का व्यवसाय भी अब तक पटरी पर नहीं लौटा. न केवल थोक व्यापारी, बल्कि खुदरा व्यापारी भी परेशान हैं. क्रिसमस से थोड़ी बहुत उम्मीद थी, लेकिन इस मौसम में भी बाजार से रौनक गायब रही. थोक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2016 6:49 AM
रांची : नोटबंदी को 47 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अन्य व्यवसायों की तरह राजधानी रांची के कपड़ा बाजार का व्यवसाय भी अब तक पटरी पर नहीं लौटा. न केवल थोक व्यापारी, बल्कि खुदरा व्यापारी भी परेशान हैं. क्रिसमस से थोड़ी बहुत उम्मीद थी, लेकिन इस मौसम में भी बाजार से रौनक गायब रही. थोक विक्रेताओं की मानें, तो अब भी गारमेंट्स व नॉन गारमेंट्स के कुल कारोबार का 35-40 प्रतिशत ही कारोबार हो रहा है.
राजधानी के थोक व्यापारियों की मानें तो सामान्य दिनों में हर माह झारखंड में नॉन गारमेंट्स में लगभग 125 करोड़ रुपये और गारमेंट्स में लगभग 41 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. यानी कुल कारोबार 166 करोड़ रुपये के आसपास होता है. नोटबंदी के बाद बाजार अचानक गिरा, जो लाख प्रयास के बावजूद बाजार रिकवर नहीं कर पाया है. फिलहाल झारखंड में गारमेंट्स और नॉन गारमेंट्स का कारोबार 66.4 करोड़ रुपये पर सिमट गया है.
नॉन गारमेंट्स में सूटिंग, सर्टिंग, साड़ी, सलवार सूट, कंबल, तौलिया, बेडशीट, चादर आदि आते हैं. जबकि बाकी कपड़े गारमेंट्स में आते हैं. थोक विक्रेताओं का कहना है कि इस बार रीटेलराें ने एक बार भी मुश्किल से ऑर्डर दिया है. उम्मीद थी कि नवंबर के अंतिम सप्ताह और दिसंबर के पहले सप्ताह में बढ़िया ऑर्डर मिलेगा. लेकिन इस उम्मीद पर भी पानी फिर गया. दिसंबर में भी कारोबार पटरी पर नहीं लौटा.
थोक विक्रेताओं ने लिया निर्णय : झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ ने अब नकद में धंधा नहीं करने का निर्णय लिया है. अब वे सारा कारोबार चेक या ऑनलाइन माध्यम से करेंगे. यही नहीं, जिनके पास पैन कार्ड नहीं होगा, उनके साथ कारोबार भी नहीं करेंगे.
नोटबंदी के बाद लोगों ने खर्च पर अंकुश लगा दिया है. नवंबर तो खराब गया. दिसंबर में भी कपड़ा बाजार रिकवर नहीं हो पाया. काफी परेशानी हो रही है. खुदरा व्यापारियों ने मुश्किल से एक बार ही ऑर्डर दे रहे हैं.
प्रवीण लोहिया, अध्यक्ष,
झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ

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