सोलर पावर प्लांट के परचेज एग्रीमेंट पर सरकार की सैद्धांतिक सहमति

रांची: झारखंड में 1101 मेगावाट के सोलर पावर प्लांट से पावर परचेज एग्रीमेंट(पीपीए) के लिए सरकार सैद्धांतिक रूप से सहमत हो चुकी है. इसके एवज में रिसोर्स गैप की राशि झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को दी जायेगी. इसका स्वरूप फाइनल करने के लिए मंगलवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक होनेवाली थी, पर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2017 12:31 AM
रांची: झारखंड में 1101 मेगावाट के सोलर पावर प्लांट से पावर परचेज एग्रीमेंट(पीपीए) के लिए सरकार सैद्धांतिक रूप से सहमत हो चुकी है. इसके एवज में रिसोर्स गैप की राशि झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को दी जायेगी. इसका स्वरूप फाइनल करने के लिए मंगलवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक होनेवाली थी, पर यह नहीं हो सकी. बताया गया कि स्वरूप फाइनल होने के बाद ही बिजली वितरण निगम द्वारा पीपीए किया जायेगा.
क्या है मामला : गौरतलब है कि झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड द्वारा पावर परचेज एग्रीमेंट से इनकार करने से देश की दूसरी सबसे बड़ी सोलर पावर प्लांट की परियोजना फंसी हुई है. साथ-साथ आठ कंपनियों की कुल 1101 मेगावाट की परियोजना भी लंबित है. रिन्यू सोलर पावर द्वारा झारखंड में 522 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट लगाया जाना है, जो देश की देश की दूसरी सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना कही जा रही है.

जेरेडा द्वारा जनवरी 2016 में 1200 मेगावाट की सोलर परियोजना स्थापित करने के लिए निविदा निकाली गयी थी, जिसमें कंपनियों से दर की मांग की गयी थी. इसमें आठ कंपनियों का चयन उनके द्वारा दी गयी न्यूनतम दर के आधार पर किया गया. इन कंपनियों का चयन 1101 मेगावाट के लिए किया गया. झारखंड सरकार ने निविदा के पूर्व प्रावधान कर दिया था कि झारखंड में 1200 मेगावाट की सोलर परियोजना स्थापित होने पर इससे उत्पादित सारी बिजली झारखंड सरकार खरीदेगी. कैबिनेट से भी इसका प्रावधान किया गया. इसके बाद जेरेडा द्वारा निविदा निकाली गयी. निविदा की शर्तों के अनुरूप लेटर अॉफ इंटेंट(एलओआइ) देने के एक माह बाद ही झारखंड बिजली वितरण निगम को पावर परचेज एग्रीमेंट(पीपीए) पर साइन करना था. 23 मई 2016 को जेरेडा द्वारा चयनित अाठों कंपनियों को एलओआइ निर्गत कर दिया गया, पर पेंच पीपीए लेकर फंस गया. झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा कहा जा रहा है कि नियमत: एक प्रतिशत बिजली ही सौर ऊर्जा से लेनी है.

यदि इससे अधिक लेना है, तो इसकी भरपाई कौन करेगा. निगम अभी 2.50 रुपये से लेकर चार रुपये प्रति यूनिट तक बिजली खरीदता है, जबकि सोलर पावर से उत्पादित बिजली की औसतन दर 5.36 रुपये प्रति यूनिट पड़ती है. ऐसे में निगम को घाटा उठाना पड़ेगा. निगम ने सरकार से पूछा है कि घाटे में यदि निगम बिजली खरीदता है, तो इसकी भरपाई कैसे होगी. सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली लेने पर निगम को सौ से सवा सौ करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. निगम द्वारा होनेवाले घाटे की भरपाई की मांग सरकार से की गयी थी, जिस पर सरकार ने सहमति दे दी है. राशि कितनी होगी, इसे मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होनेवाली बैठक में तय की जायेगी.

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