सरकारी स्कूलों में सिक रूम की व्यवस्था नहीं

रांची : राजधानी के 2300 से अधिक सरकारी, गैर सरकारी मान्यता प्राप्त और सहायता प्राप्त विद्यालयों में सिक रूम (बीमार बच्चों के लिए कक्ष) की अलग से व्यवस्था नहीं है. बच्चों के अधिक बीमार पड़ने की स्थिति में उन्हें तत्काल नजदीकी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा जाता है. सरकारी स्कूलों में विद्यालय प्रबंध समिति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 16, 2017 6:45 AM
रांची : राजधानी के 2300 से अधिक सरकारी, गैर सरकारी मान्यता प्राप्त और सहायता प्राप्त विद्यालयों में सिक रूम (बीमार बच्चों के लिए कक्ष) की अलग से व्यवस्था नहीं है. बच्चों के अधिक बीमार पड़ने की स्थिति में उन्हें तत्काल नजदीकी अस्पताल में इलाज के लिए भेजा जाता है. सरकारी स्कूलों में विद्यालय प्रबंध समिति और प्राचार्य की तरफ से बाद में बच्चों के अभिभावकों को सूचना भी दे दी जाती है कि उनका बच्चा बीमार है. सरकारी विद्यालयों में गरमी, ठंड और बारिश के दौरान बच्चों के बीमार पड़ने की सूचना कम दी जाती है.
अधिकतर स्कूलों में यह बताया जाता है कि बच्चे बीमार रहने की स्थिति में विद्यालय नहीं आते हैं. तबीयत ठीक होने पर ही बच्चे अपनी कक्षाओं में उपस्थित रहते हैं.
निजी स्कूलों में बीमार बच्चों के लिए रहता है उपचार केंद्र: राजधानी के सीबीएसइ और आइसीएसइ से संबंद्ध निजी स्कूलों में बीमार बच्चों के लिए उपचार केंद्र की व्यवस्था की गयी है. अधिकतर स्कूलों में दो कमरों का उपचार केंद्र रहता है, जहां बच्चों का उपचार किया जाता है.
बीमार बच्चों के अभिभावकों से स्कूल प्रबंधन की तरफ से यह सूचना दी जाती है कि वे अपने बच्चों को वापस घर ले कर जायें. छात्रावास वाले विद्यालयों में पांच से दस बेड भी उपचार केंद्र में रहते हैं, जहां स्लाइन चढ़ाने और अन्य मामूली उपचार की व्यवस्था रहती है.
बच्चों की बीमारी से संबंधित आवश्यक दवा और इंजेक्शन देने की भी व्यवस्था इन स्कूलों में की गयी है. सीबीएसइ के 60 से अधिक और आइसीएसइ से संबंधित 45 से अधिक विद्यालय रांची में अवस्थित हैं. इन स्कूलों में एक वरीय शिक्षक अथवा शिक्षिका को सिक रूम का प्रभारी भी बनाया जाता है.

Next Article

Exit mobile version