राजकीय सम्मान से हुआ डॉ मुरमू का अंतिम संस्कार

कांदर/ दुमका : लिट्टीपाड़ा के दिवंगत विधायक डॉ अनिल मुरमू का अंतिम संस्कार गुरुवार को उनके पैतृक गांव गोपीकांदर प्रखंड के रांगा में राजकीय सम्मान के साथ किया गया. गांव के ही कब्रिस्तान में उन्हें पारंपरिक रीति रिवाज के साथ दफनाया गया. इससे पूर्व उन्हें जिला पुलिस के 21 जवानों ने अंतिम सलामी दी. मौके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 20, 2017 6:41 AM
कांदर/ दुमका : लिट्टीपाड़ा के दिवंगत विधायक डॉ अनिल मुरमू का अंतिम संस्कार गुरुवार को उनके पैतृक गांव गोपीकांदर प्रखंड के रांगा में राजकीय सम्मान के साथ किया गया. गांव के ही कब्रिस्तान में उन्हें पारंपरिक रीति रिवाज के साथ दफनाया गया. इससे पूर्व उन्हें जिला पुलिस के 21 जवानों ने अंतिम सलामी दी. मौके पर समाज कल्याण मंत्री डॉ लुइस मरांडी व कृषि मंत्री रणधीर सिंह भी मौजूद थे.
झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन, नेता प्रतिपक्ष सह झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन, राजमहल सांसद विजय हांसदा, झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य, विधायक प्रो स्टीफन मरांडी, चंपई सोरेन व रवींद्र महतो, पूर्व विधायक अकील अख्तर, लोबिन हेंब्रम, हाजी हुसैन अंसारी, साइमन मरांडी व मिस्त्री सोरेन तथा झामुमो के युवा नेता वसंत सोरेन आदि ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी. प्रमंडलीय आयुक्त दिनेश कुमार मिश्र, डीसी राहुल कुमार सिन्हा व एसपी मयूर पटेल भी दिवंगत विधायक के अंतिम संस्कार में शामिल हुए. अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल थे. उन्हें दफनाये जाने से पहले पादरियों की अगुवाई में प्रार्थना सभा की गयी.

अनिल मुरमू ने कब्रिस्तान की घेराबंदी पर पूछा था सवाल
रांची. झामुमो के विधायक अनिल मुरमू अब नहीं रहे़ विधानसभा में मुट्ठी बांध पूरी शिद्दत से उठने वाली आवाज बंद हो गयी़ गुरुवार को सदन में प्रतिपक्ष की कतार में पिछली सीट खाली थी़ नियति का भी अजब संयोग है. गुरुवार को तारांकित प्रश्न की सूची विधानसभा में आयी़ इस सूची में चौथा प्रश्न अनिल मुरमू का था़ उनका पार्थिव शरीर मिट्टी में मिल गया़ उनके जेहन में भी कब्रिस्तान जैसी पवित्र जगह की समस्या थी. दिवंगत विधायक ने कल्याण विभाग से पाकुड़ जिले के कब्रिस्तान की घेराबंदी से संबंधित सवाल पूछा था़ उन्होंने पूछा था कि पवित्र स्थल की घेराबंदी नहीं होने और लोगों द्वारा मल-मूत्र त्याग करने से वहां मृत व्यक्तियों को दफनाने में दिक्कत होती है़ वे सरकार से जानना चाहते थे कि कब्रिस्तान और दूसरे पवित्र स्थलों की घेराबंदी होगी या नहीं. हो-हंगामा के कारण दिवंगत विधायक के प्रश्न को भी सम्मान नहीं मिला़ प्रश्न भी दफन हो गये़ स्पीकर चाहते, तो इस प्रश्न पर जवाब मांग सकते थे, लेकिन यह प्रश्न सदन में नहीं आ सका़

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