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आदिवासी जीवन दर्शन से बचेगी दुनिया : ग्लैडसन

रांची: मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि औद्योगिक विकास ने धरती को तहस-नहस कर दिया है. जंगल बरबाद हो रहे है़ं, जलवायु परिर्वतन हो रहा है़ दुनिया के वैज्ञानिकों ने अपने हाथ खड़े कर दिये है़ं ऐसे समय में आदिवासी जीवन दर्शन ही दुनिया को बचा सकता है़ आदिवासियों को पिछड़ा, असभ्य और अशिक्षित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2017 6:54 AM
रांची: मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि औद्योगिक विकास ने धरती को तहस-नहस कर दिया है. जंगल बरबाद हो रहे है़ं, जलवायु परिर्वतन हो रहा है़ दुनिया के वैज्ञानिकों ने अपने हाथ खड़े कर दिये है़ं ऐसे समय में आदिवासी जीवन दर्शन ही दुनिया को बचा सकता है़ आदिवासियों को पिछड़ा, असभ्य और अशिक्षित समझा जाता है, लेकिन दुनिया आज आदिवासियों के रास्ते पर वापस आकर बेटी बचाने व पर्यावरण संरक्षण के अभियान चला रही है़.
धरती को बचाने के लिए आज नहीं, तो कल आदिवासियों के रास्ते पर आना ही होगा, क्योंकि लालच पर आधारित अर्थव्यवस्था को जारी रखने से दुनिया नहीं बचेगी़ आदिवासियों जैसा प्रकृति के साथ जीना, सह अस्तित्व को स्वीकार करना, भेदभाव को खत्म करना व सभी के अधिकारों की रक्षा करना होगा़ वह कैथोलिक चैरिटीज द्वारा पर्यावरण पर पोप के विश्वपत्र ‘लाऊदातो- सी’ पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे़ सेमिनार का आयोजन धर्मसमाजियों के लिए एसडीसी, पुरुलिया रोड में हुआ़.
विविधताओं का सम्मान जरूरी
साेशल इनिशिएटिव्स फॉर ग्रोथ एंड नेटवर्किंग (साइन) के निदेशक फादर क्रिस्टोदास ने कहा कि इस बात पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है कि हम अपनी भावी पीढ़ियों को कैसी दुनिया देंगे? इसे बना कर देंगे या बिगाड़ कर? यदि इसे बचाना है तो हमें सृष्टि की विविधता का सम्मान करना होगा़ यह विविधता ही सृष्टि की सुंदरता है और इन विविधताओं के बीच एक आंतरिक संबंध है़ इस संबंध को समझने के लिए इस आध्यात्मिकता को समझने की आवश्यकता है कि सभी को जीवन का समान अधिकार है़ इस विषय पर स्वयं को बदलने, बच्चों को शिक्षित करने और चर्च के स्कूल- संस्था- संगठनों को पहल करने की जरूरत है़.
सबको प्यार देना जरूरी : कार्डिनल
कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कहा कि हमारा लोभ लालच, वस्तुओं का गैरजिम्मेदाराना प्रयोग, दूसरों के हित की स्वार्थपूर्ण अवहेलना, जल्द मुनाफा कमाने की धुन, हर तरह का प्रदूषण फैलाने की आदत, प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास गरीबों- दरिद्रों की परवाह न करना, अदूरदर्शी अर्थव्यवस्था जैसी अनेक नीतियों व आचरण ने पृथ्वी को बोझिल व ध्वस्त कर रखा है़ ऐसे अवगुण आत्मघाती है़ं सभी जीवों में परस्पर गहरा संबंध है़ सबको आदर व प्यार देना जरूरी है, क्योंकि सभी जीवित प्राणी परस्पर एक दूसरे पर आधारित है़ं पोप का विश्वपत्र हमारे साझा निवास स्थान की देखरेख की गंभीर जिम्मेवारी हमें सौंपता है़ आयोजन में फादर प्रेमचंद तिर्की, चार्ल्स जोसफ, सुमन लकड़ा, सोनी मिंज, मगदली डाहंगा व प्रबल किंडो ने योगदान दिया़

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