इस्पात प्लांट की क्षमता बढ़ाने की जरूरत : वर्मा

इस्पात उत्पादन की संभावना व चुनौतियां विषय पर सेमिनार रांची : वर्ष 2030 तक भारत 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन करने में समक्ष है. इसके लिए जो प्लांट अभी चल रहे हैं, उनकी क्षमता को बढ़ाना आवश्यक है. कई ऐसे स्टील प्लांट हैं, जहां क्षमता से कम उत्पादन हो रहा है. वहीं नये प्लांट के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2017 6:51 AM
इस्पात उत्पादन की संभावना व चुनौतियां विषय पर सेमिनार
रांची : वर्ष 2030 तक भारत 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन करने में समक्ष है. इसके लिए जो प्लांट अभी चल रहे हैं, उनकी क्षमता को बढ़ाना आवश्यक है. कई ऐसे स्टील प्लांट हैं, जहां क्षमता से कम उत्पादन हो रहा है. वहीं नये प्लांट के लिए कार्य तेजी से हो रहे हैं.
उक्त बातें मेकन में संयुक्त महाप्रबंधक मार्केटिंग एसके वर्मा ने रविवार को मेकन और इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स द्वारा होटल बीएनआर चाणक्य में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के समापन के मौके पर कही.
सेमिनार का विषय ‘वर्ष 2030 तक 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन की संभावना और चुनौतियां’ था. श्री वर्मा ने कहा कि देश में इस्पात की प्रति व्यक्ति खपत 61 किलोग्राम है, जबकि विश्व में प्रति व्यक्ति औसत खपत 208 किलोग्राम है. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति खपत 10 से 12 किलोग्राम है. इससे स्पष्ट है कि भारत में इस्पात उद्योग के विकास की काफी संभावनाएं हैं. उन्होंने कम खर्च में अच्छा इस्पात बनाने की बात कही.
मेकन के पूर्व निदेशक मिथलेश कुमार देशमुख ने कहा कि इस्पात से सूई से लेकर बड़े-बड़े जहाज तक का निर्माण होता है. देश में इस्पात की खपत ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में अधिक है. सरकार रेल, सड़क, बंदरगाह, आवास निर्माण, स्मार्ट सिटी के विकास पर जोर दे रही है, जिससे इस्पात की मांग में और बढ़ोतरी होगी.
मेकन के सीएमडी अतुल भट्ट ने कहा कि सेमिनार में विभिन्न कंपनियों द्वारा कुल 31 तकनीकी पेपर प्रस्तुत किये गये, जो इस्पात के अधिक उत्पादन में सहायक होगा. इस्पात उद्योग में अद्यतन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए मेकन कई योजनाओं पर कार्य कर रहा है. मेकन कोक ओवेन बैटरी व ब्लास्ट फर्नेश का डिजाइन व इंजीनियरिंग का कार्य किया है, जो इस्पात उद्योग के लिए काफी उपयोगी साबित होगा.

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