फरजी दस्तावेज पर बांटे 300 करोड़ मुआवजा

रांची: हजारीबाग के पकरी-बरवाडीह में 3000 एकड़ सरकारी जमीन पर अलग-अलग लोगों ने फरजी दस्तावेज के आधार पर अपना कब्जा दिखा दिया है. आशंका जतायी जा रही है कि इन लोगों ने एनटीपीसी से 300 करोड़ मुआवजा लेने के लिए फरजीवाड़ा किया है. मामले की जांच कर रहे सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता ने इसकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 11, 2017 1:53 AM
रांची: हजारीबाग के पकरी-बरवाडीह में 3000 एकड़ सरकारी जमीन पर अलग-अलग लोगों ने फरजी दस्तावेज के आधार पर अपना कब्जा दिखा दिया है. आशंका जतायी जा रही है कि इन लोगों ने एनटीपीसी से 300 करोड़ मुआवजा लेने के लिए फरजीवाड़ा किया है. मामले की जांच कर रहे सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता ने इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है.

रिपोर्ट में उन आदेशों को वापस लेने की अनुशंसा की गयी है, जो राजस्व नियमों के विपरीत जारी किये गये थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि उपायुक्त की ओर से लगाये गये आरोप प्रमाणित होते हैं. घने जंगल के बीच में स्थित खासमहल की जमीन को भी बंदोबस्त दिखा दिया गया है.रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन अधिग्रहण के कागजात के विश्लेषण से पता चलता है कि 112 लोगों के पास औसतन 1.75 एकड़ जमीन थी.

163 लोगों के पास औसतन .50 से 1.00 एकड़ जमीन थी. 2000 लोगों के पास कुल 40.06 एकड़ जमीन थी. इस तरह इन 2000 लोगों में से हर व्यक्ति के पास दो डिसमिल जमीन थी. यह किसी परिवार के लिए किसी भी कीमत पर पर्याप्त नहीं है. उन्होंने इस बात की आशंका जतायी है कि पहले चरण के भुगतान के बाद यह नये आंकड़े उभर कर सामने आये हैं. जांच में कुछ किसान ऐसे भी मिले, जिनके पास महज 20 स्क्वायर फीट जमीन थी. इस तरह यह मामला पूरी तरह संदेहास्पद है.
डीसी की रिपोर्ट का अंंश
पकरी-बरवाडीह कोयला खनन परियोजना के लिए अधिग्रहित गैर मजरूआ जमीन का मुआवजा प्राप्त करने के लिए अवैध जमाबंदी कर दखल-कब्जा दिखाया गया.
ग्राम लंगातु में सक्षम पदाधिकारी की जांच के बिना जमाबंदी कायम कर रसीद निर्गत किया गया. जबकि भूमि पर उन व्यक्तियों का दखल-कब्जा था, जोत-कब्जा नहीं था.
जांच के दौरान लंगातु गांव के ग्रामीणों ने टंडवा के व्यक्तियों के नाम जमाबंदी कायम कर दखल-कब्जा दिखाने को गलत बताया है
जिन गैर मजरूआ जमीन के अधिग्रहण का मुआवजा लिया गया, भौतिक सत्यापन के दौरान उसमें से ज्यादातर मामलों में संबंधित व्यक्तियों का कोई दखल-कब्जा या जोत-आबाद नहीं पाया गया.
एसआइटी ने यह भी गड़बड़ी पायी
सरकार के स्तर पर नियमों का उल्लंघन करते हुए कई कार्यपालक आदेश जारी किये गये
इस बात का कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं जारी किया गया है कि अगर वित्तिय गड़बड़ी हुई तो कौन जिम्मेदार होगा
क्षेत्र में आम धारणा है कि एनटीपीसी ने पकड़ी-बरवाडीह के मामले में नियम-कानून को छोड़ कर हर चीज पैसे के सहारे हासिल करने की कोशिश की.
उपायुक्त ने की थी अनुशंसा : हजारीबाग के तत्कालीन उपायुक्त मुकेश कुमार ने 13 फरवरी 2016 को पकरी-बरवाडीह में अवैध जमाबंदी कर दखल कब्जा दिखाने के की शिकायत सरकार से की थी. मामले की जांच एसीबी या एसआइटी से कराने की अनुशंसा की थी. उपायुक्त की अनुशंसा के बाद सरकार ने 24 फरवरी 2016 को देवाशीष गुप्ता को मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी.
एसआइटी ने पायी गड़बड़ी
फरजी दस्तावेज के सहारे 3000 एकड़ जमीन की जमाबंदी करा कर मुआवजा दिया गया
सरकार ने जमीन अधिग्रहण की दर 10 लाख रुपये प्रति एकड़ तय की थी.
सरकार के स्तर पर कोई आदमी इस स्थिति में नहीं है, जो यह बता सके कि जमीन के संबंध में रजिस्टर में जो इंट्री की गयी है, वह सही है या नहीं.
रजिस्टर-दो में सिर्फ जमींदारी के सामान्य कागजात के आधार पर नाम की इंट्री कर ली गयी. बहुत सारी जमीन, जो खतियान में जंगल-झाड़ी के रूप में दर्ज है, उसे भी लोगों ने अपने नाम पर दिखा दिया.
बिना सक्षम पदाधिकारी के स्थानीय स्तर की बैठक में भी गैर रैयतों को सहायता देने का फैसला लिया गया, जो नियम विरुद्ध है
जंगल में खासमहल की जमीन की बंदोबस्ती संदेहास्पद है.

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