बीमार व काम नहीं करनेवाले अफसरों को जबरन सेवानिवृत्ति देगी सरकार
रांची : सरकार ने बीमार और काम नहीं करनेवाले अफसरों को तीन माह का वेतन भत्ता देकर जबरन सेवानिवृत्त करने का आदेश दिया है. कार्मिक सचिव ने सभी अपर मुख्य सचिव और विभागीय सचिवों को इससे संबंधित पत्र भेजा है. सभी विभागीय सचिवों से अपने-अपने अधीनस्थ निकम्मे, बीमार, भ्रष्टाचार में लिप्त पदाधिकारियों के खिलाफ सेवा […]

रांची : सरकार ने बीमार और काम नहीं करनेवाले अफसरों को तीन माह का वेतन भत्ता देकर जबरन सेवानिवृत्त करने का आदेश दिया है. कार्मिक सचिव ने सभी अपर मुख्य सचिव और विभागीय सचिवों को इससे संबंधित पत्र भेजा है. सभी विभागीय सचिवों से अपने-अपने अधीनस्थ निकम्मे, बीमार, भ्रष्टाचार में लिप्त पदाधिकारियों के खिलाफ सेवा संहिता के तहत कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.
यह आदेश डॉक्टर, इंजीनियर, पुलिस, प्रशासनिक सेवा सहित सभी राजपत्रित पदाधिकारियों के मामले में प्रभावी है.
कामकाज की होगी समीक्षा : कार्मिक सचिव निधि खरे की ओर से भेजे गये पत्र में बीमारी के नाम पर हमेशा छुट्टी पर रहनेवाले पदाधिकारियों के स्वास्थ्य की जांच मेडिकल बोर्ड बना कर कराने का निर्देश दिया गया है. सचिवों से कहा गया है कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट व संबंधित अधिकारी के कामकाज की समीक्षा करें. कामकाज मापदंड के अनुरूप नहीं पाये जाने पर झारखंड सेवा संहिता के प्रावधानों के तहत उसकी सेवानिवृत्ति की कार्रवाई करें और इसकी सूचना कार्मिक विभाग को दें.
पत्र में ऐसे अधिकारियों को भी सेवानिवृत्त कराने का प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है, जिनका काम असंतोषजनक है या जिनका आचरण ठीक नहीं है. ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए पत्र में सेवा संहिता के प्रावधानों का भी उल्लेख किया गया है. कहा गया है कि सरकार अगर समझे कि कोई पदाधिकारी का काम या आचरण एेसा नहीं है कि उसे नौकरी में बनाये रखा जाये ,तो उसे नियम 74(क) के तहत सेवानिवृत्त किया जा सकता है. इस नियम के तहत कार्रवाई करने के लिए संबंधित कर्मचारी की सेवा अवधि 25 साल होनी चाहिए. उपनियम ख (2) के अनुसार, अगर सरकार समझे कि कोई पदाधिकारी या कर्मचारी 30 साल की नौकरी या 50 साल की उम्र पूरी कर चुका है, तो उसे तीन माह का नोटिस और तीन माह का वेतन भत्ता देकर सेवानिवृत्त कर सकती है.