श्रम कानूनों के सुधार में झारखंड सबसे बेहतर

रांची: मोमेंटम झारखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले दिन चार तकनीकी सत्र अायोजित किये गये. इनमें से एक मेक इन झारखंड पर केंद्रित था. इस सत्र में श्रम मंत्री राज पालिवार ने झारखंड में उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल माहौल होने की जानकारी दी. श्री पालिवार ने कहा कि लेबर लॉ रिफॉर्म (श्रम कानूनों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2017 8:12 AM
रांची: मोमेंटम झारखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के पहले दिन चार तकनीकी सत्र अायोजित किये गये. इनमें से एक मेक इन झारखंड पर केंद्रित था. इस सत्र में श्रम मंत्री राज पालिवार ने झारखंड में उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल माहौल होने की जानकारी दी.
श्री पालिवार ने कहा कि लेबर लॉ रिफॉर्म (श्रम कानूनों में बदलाव या सुधार) करने में झारखंड देश भर में अव्वल है. श्रम कानूनों में कई संशोधन किये गये हैं. राज्य में राजनीतिक स्थिरता है. सड़क, पानी, बिजली की सुविधा है तथा इनमें अौर सुधार हो रहा है. ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में बेहतर काम हो रहे हैं. कई पॉलिसी बनी है. हर जिले में लैंड बैंक है. उद्योगों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम काम कर रहा है. वहीं, झारखंड की धरती के नीचे देश की 40 फीसदी खनिज संपदा है. वहीं इसके ऊपर पहाड़, जंगल, झरने तथा खूबसूरत वादियां तथा सबसे बढ़कर बेहतर मानव संसाधन हैं. इसलिए मेक इन इंडिया की तर्ज पर मेक इन झारखंड के लिए राज्य में अनुकूल माहौल है. श्री पालिवार ने निवेशकों का झारखंड में अामंत्रित किया.
इतनी बड़ी आबादी कुछ भी कर सकती : भारत सरकार के डिपार्टमेंट अॉफ इंडस्ट्री एंड पॉलिसी प्रमोशन (डीआइपीपी) के संयुक्त सचिव राजीव अग्रवाल ने कहा कि हमारे देश की 77 करोड़ आबादी 15 से 64 वर्षीय लोगों की है. सही दिशा मिले, तो इतनी बड़ी आबादी कुछ भी कर सकती है. हमारे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर दुनिया में सबसे अधिक 7.6 फीसदी रही है. आनेवाले वर्षों में भी यह बढ़त बनी रहेगी. श्री अग्रवाल ने कहा कि गत वर्ष भारत में 55 मिलियन यूएस डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) हुआ है. इस मामले मे भी हम दुनिया में सबसे आगे हैं. भारत सरकार ने निवेश के लिए इनवेस्ट इंडिया का गठन किया है. यह संस्था निवेश करने वाले को मदद करने के लिए है. हमारा स्टार्ट अप फंड 10 हजार करोड़ का है. इससे पहले अर्नेस्ट एंड यंग के निदेशक गौरव तनेजा ने सबका अौपचारिक स्वागत किया तथा झारखंड में उपलब्ध संसाधनों व सुविधाअों के मद्देनजर निवेश की संभावना पर अपनी बातें कही. मेक इन झारखंड के सत्र के दौरान कई उद्योगपतियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये. वहीं आदित्यपुर स्मॉल इंडस्ट्री एसोसिएशन (एसिया) के प्रतिनिधि ने प्रजेंटेशन के जरिये आदित्यपुर में उपलब्ध सुविधाअों के बारे बताया तथा निवेश के इच्छुक लोगों को वहां अामंत्रित किया.
मेन्युफैक्चरिंग के लिए अच्छा मंच
जेएसवी के सीइअो तथा संयुक्त प्रबंध निदेशक विश्वदीप गुप्ता ने कहा कि मोमेंटम झारखंड ने मेन्युफैक्चरिंग (उत्पादन) सेक्टर के लिए अच्छा मंच दिया है. श्री गुप्ता ने कहा कि वह स्टील निर्माता हैं तथा अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए वह झारखंड आना चाहते हैं.
रूसी सहायता से कौशल विकास
एचइसी के सीएमडी अभिजीत घोष ने कहा कि रूस व चेक गणराज्य एचइसी को तकनीकी बदलाव में सहयोग करेंगे. इससे अगले तीन-चार वर्षों में एचइसी का उद्धार हो सकता है. वहीं, रूस की सहायता से रांची में कॉमन इंजीनियर व फैसिलिटी सेंटर की स्थापना होगी. यहां उच्च स्तरीय प्रशिक्षण व कौशल विकास का काम होगा.
हम हैं मेक इन झारखंड का उदाहरण : आरएसबी ट्रांसमिशन लिमिटेड जमशेदपुर के अध्यक्ष एसके बेहरा ने कहा कि कभी अॉटो पार्ट्स बनानेवाली उनकी कंपनी को अमेरिकी खरीदना चाहते थे. पर हमने इनकार कर दिया. आज देश भर की अॉटो इंडस्ट्री में लगने वाले हमारे उत्पाद का हिस्सा 60 फीसदी है. हम मेक इन झारखंड तथा बाबा रामदेव मेक इन इंडिया का बेहतर उदाहरण हैं.
झारखंड का माहौल बेहतर : टाटा हिताची कंस्ट्रक्शन मशिनरी के एमडी संदीप सिंह ने कहा कि हम 1961 से झारखंड में हैं. उद्योगों के लिए यहां का माहौल बेहतर है. यहीं रहकर हमने निर्माण कार्य में लगने वाली हेवी मशीनरी का निर्माण शुरू किया. बाद में धारवा व खड़गपुर में भी कारखाने लगाये.
सरकार का रवैया सहयोगी : भारी वाहनों का कपलिंग व हाइड्रोलिक सिस्टम बनाने वाली कंपनी जोस्ट के प्रबंध निदेशक जीएस प्रदीप ने कहा कि उद्योगों के लिए झारखंड का माहैल अनुकूल है तथा सरकार का रवैया भी सहयोगी है. हम 2008 से झारखंड में हैं. वहीं विदेशों में भी हमारी कंपनी कार्यरत है.
सर्वाधिक रोजगार एमएसएमइ में : गजिंदर : जीएस अॉटो लिमिटेड जमशेदपुर के गजिंदर बैंस ने कहा कि सबसे अधिक रोजगार माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमइ) सेक्टर देता है. इस सेक्टर के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि अब बड़े उद्योग दूसरे व तीसरे स्तर के आपूर्तिकर्ता (छोटे सप्लायर) पैदा करना चाहते हैं, ताकि वे जहां रहें, वहां के छोटे उद्योगों का भी विकास हो सके.

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