कोर्ट ने एनएचएआइ से पूछा कि रांची-हजारीबाग एनएच 100 किमी लंबा है आैर उस पर दो एंबुलेंस दिये गये हैं. घटनास्थल पर 20 मिनट में एंबुलेंस पहुंच जाये, यह कैसे संभव होगा. सुनवाई के दाैरान एनएचएआइ के अध्यक्ष वाइएस मल्लिक कोर्ट में सशरीर उपस्थित थे. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि पुराने एनएच पर नियमों के तहत एंबुलेंस की जितनी जरूरत होगी, उसे उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि कम से कम 20 मिनट में एंबुलेंस घटनास्थल पर पहुंच सके. इसके लिए सभी जरूरी कदम उठाये जायेंगे. उन्होंने इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देखने की बात कही.
उन्होंने खंडपीठ को बताया कि सरकार के साथ आगे एनएच के लिए जो एग्रीमेंट होगा, उसमें प्रत्येक 20 किमी पर एक एंबुलेंस का प्रावधान किया जायेगा. उन्होंने कोर्ट से कुछ समय देने का आग्रह किया. खंडपीठ ने एनएचएआइ को छह सप्ताह का समय प्रदान किया. एनएचआइ की अोर से झारखंड में अवस्थित एनएच का नक्शा कोर्ट में प्रस्तुत किया गया. खंडपीठ ने एनएच पर ट्रामा सेंटर के विषय में श्री मल्लिक से जानना चाहा. इस पर एनएचएआइ की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि ट्रामा सेंटर का निर्माण राज्य सरकार को करना है.
इसके बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार के अधिवक्ता राजीव रंजन मिश्रा से जानकारी मांगी. उन्हें विस्तृत जवाब देने के लिए कहा गया. इस मुद्दे पर खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तिथि निर्धारित की. मामले के एमीकस क्यूरी वरीय अधिवक्ता एके कश्यप व अधिवक्ता हेमंत सिकरवार, गृह विभाग की अोर से वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि हजारीबाग के चरही में एनएच पर दुर्घटना में धर्मेंद्र कुमार घायल हो गये थे. उन्हें समय पर चिकित्सकीय सुविधा नहीं मिल पायी थी. इसे गंभीरता से लेते हुए हाइकोर्ट ने मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.