लाह झारखंड व आसपास के राज्यों का एक महत्वपूर्ण वनोत्पाद है तथा इस क्षेत्र में किये गये अनुसंधान कार्य से लाह उत्पादन की उन्नत तकनीक प्राप्त होगी. केंद्रीय मंत्री ने संस्थान के कार्यों पर संतोष व्यक्त किया व उन्नत तकनीकों के प्रसार पर जोर दिया. उन्होंने किसानों को उनके उत्पादों के लिए समुचित मूल्य दिये जाने तथा इसके लिए हर संभव कदम उठाने की बात भी कही.
उन्होंने कहा कि संगोष्ठी के निष्कर्ष इस क्षेत्र के लिए लाभदायक होंगे. संगोष्ठी में सात लीड लेक्चर तथा लगभग 20 आलेख प्रस्तुत किये जायेंगे. इसमें झारखंड के अतिरिक्त तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, केरल, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्यों के अग्रणी वैज्ञानिक, शिक्षाविद अनुसंधानकर्ता भाग ले रहे हैं. कार्यक्रम के अंतर्गत तीन लीड लेक्चर सत्र, दो तकनीकी सत्र तथा एक पोस्टर सत्र आयोजित किये जायेंगे. मौके पर संस्थान के निदेशक डॉ केवल कृष्ण शर्मा, डॉ निरंजन प्रसाद, डॉ एम जेड सिद्दीकी, डॉ अंजेश कुमार उपस्थित थे.