चायबागानों में काम कर रही आदिवासी श्रमिकों की तीसरी पीढ़ी ने पहली बार देखा अपना देश
रांची : जलपाइगुड़ी, पश्चिम बंगाल के हासीमारा के चायबागानों में काम करने वाली झारखंडी मूल के आदिवासी श्रमिकों की तीसरी पीढ़ी की 20 महिलाओं ने 15 से 19 फरवरी तक अपने पूर्वजों की भूमि के दर्शन किये. टीम का नेतृत्व करने वाली सुभासिनी बगान की मेरी टेटे ने बताया कि इनमें 17 महिलाएं ऐसी हैं, […]
रांची : जलपाइगुड़ी, पश्चिम बंगाल के हासीमारा के चायबागानों में काम करने वाली झारखंडी मूल के आदिवासी श्रमिकों की तीसरी पीढ़ी की 20 महिलाओं ने 15 से 19 फरवरी तक अपने पूर्वजों की भूमि के दर्शन किये. टीम का नेतृत्व करने वाली सुभासिनी बगान की मेरी टेटे ने बताया कि इनमें 17 महिलाएं ऐसी हैं, जो पहली बार छोटानागपुर आयी है़ं
इन पांच दिनों में उन्होंने बनहोरा, डोड़मा, आमझरिया, कामडा, राजाउलातू आदि का भ्रमण किया़ उन्होंने कहा कि यहां की मिट्टी में उपजी सब्जियां बहुत स्वादिष्ट लगती है़ कमडा के जंगल-पहाड़ देख अभिभूत हुईं और उन्हें जलाइगुड़ी के जंगल और पहाड़ों से काफी अलग पाया़ उन्होंने बताया कि वहां झारखंडी मूल के आदिवासियों की आर्थिक स्थित अच्छी नहीं है़ चायबागानों में वे सिर्फ चाय की पत्तियां तोड़ने का काम करती है़ं उनमें से कोई भी अब तक अफसर या मैनेजर नहीं बनी है़