रांची के ग्रामीण हर माह करते हैं सबसे कम खर्च

आर्थिक, सामाजिक व जातीय जनगणना रामगढ़ के ग्रामीणों का खर्च सबसे अधिक खनिज बहुलता वाले जिलों में लोगों के खर्च करने की क्षमता अधिक रांची : आर्थिक, सामाजिक व जातीय जनगणना-2011 की रिपोर्ट के मुताबिक रांची के ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले लोगों का हर माह का खर्च राज्य के सभी जिलों से कम (सिर्फ 696 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 21, 2017 8:17 AM
आर्थिक, सामाजिक व जातीय जनगणना
रामगढ़ के ग्रामीणों का खर्च सबसे अधिक
खनिज बहुलता वाले जिलों में लोगों के खर्च करने की क्षमता अधिक
रांची : आर्थिक, सामाजिक व जातीय जनगणना-2011 की रिपोर्ट के मुताबिक रांची के ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले लोगों का हर माह का खर्च राज्य के सभी जिलों से कम (सिर्फ 696 रुपये) है. वहीं रामगढ़ जिले के ग्रामीणों का खर्च राज्य भर में सबसे अधिक 1763 रुपये प्रति माह है.
ग्रामीण इलाके की आय कृषि उत्पाद सहित खनिज व अन्य प्राकृतिक संसाधनों तथा अाय वृद्धि के स्रोतों पर निर्भर है. खनिज बहुलता वाले जिलों में लोगों के खर्च करने की क्षमता अधिक है. इनमें रामगढ़ के अलावा पश्चिमी सिंहभूम, धनबाद व हजारीबाग सहित अबरक (माइका) वाला कोडरमा जिला भी शामिल है. वहीं सिमडेगा जैसे जिले में लोगों के खर्च करने की बेहतर क्षमता का कारण स्पष्ट नहीं है. वहीं संताल परगना तथा पलामू प्रमंडल के जिले ज्यादा पिछड़े माने जाते हैं. ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में पाकुड़, गढ़वा, चतरा, पलामू, दुमका व गोड्डा जिले को अत्यधिक पिछड़ा माना जाता है. वहीं धनबाद, रांची, रामगढ़, बोकारो, पूर्वी सिंहभूम तथा सरायकेला इस इंडेक्स के आधार पर राज्य के बेहतर जिले माने जाते हैं. पर पिछड़े जिलों में से कई जिले उपभोक्ता खर्च के मामले में रांची से भी बेहतर हैं. यहां भी इसकी वजह साफ नहीं है.
पंचायती राज सचिव से मिलेंगे जिला परिषद सदस्य को लेकर पंचायती राज सचिव से मिलेंगे. पंचायती राज सचिव वंदना डाडेल अगर उनकी मांगों पर उचित कदम नहीं उठाती हैं, तो फिर सड़क पर उतर कर पंचायतों के प्रतिनिधि आंदोलन करेंगे. पंचायत प्रतिनिधियों की हो रही उपेक्षा पर सोमवार को जिला परिषद सभागार में रांची जिले के सभी जिला परिषद सदस्यों ने भागीदारी की.
इस दौरान सदस्याें ने कहा कि सरकार के द्वारा उन्हें हक व अधिकार से वंचित रखा गया है. जिला परिषद के सचिव भी उनकी नहीं सुनते हैं. इसलिए अब आंदोलन का रास्ता ही एकमात्र विकल्प बचता है. बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष सुकरा मुंडा, उपाध्यक्ष पार्वती देवी, अनिल टाइगर, हकीम अंसारी, सुनील उरांव, मनोज लकड़ा, एनुल हक, वीणा देवी, मोजीबुल अंसारी, सरिता देवी, रीना केरकेट्टा आदि उपस्थित थीं.

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