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केंद्रीय सरना समिति के नाम से चल रहे हैं तीन संगठन

रांची : केंद्रीय सरना समिति, सरना आदिवासियों की एक प्रमुख संस्था के रूप में उभरी है. पर अब केंद्रीय सरना समिति की पहचान को लेकर समाज में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है क्योंकि तीन-तीन संगठन इस नाम से चल रहे हैं. तीनों का दावा है कि वही असली समिति हैं. तीनों अपने- अपने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 21, 2017 8:19 AM
रांची : केंद्रीय सरना समिति, सरना आदिवासियों की एक प्रमुख संस्था के रूप में उभरी है. पर अब केंद्रीय सरना समिति की पहचान को लेकर समाज में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है क्योंकि तीन-तीन संगठन इस नाम से चल रहे हैं. तीनों का दावा है कि वही असली समिति हैं. तीनों अपने- अपने तरीके से काम कर रही है.
पहली समिति के अध्यक्ष हैं फूलचंद तिर्की. ये पिछले कुछ वर्षों से समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं. इनकी समिति को समुदाय के हितों के खिलाफ काम करने अौर सरकार का पिछलग्गू होने का आरोप लगाते हुए समाज के कई लोगों ने मान्यता देने से इनकार कर दिया. इतना ही नहीं, समिति को भंग करने की बात कही गयी अौर नये सिरे से चुनाव भी कराया गया. उधर, फूलचंद तिर्की के ग्रुप ने इन खबरों को खारिज किया अौर कहा कि समिति भंग नहीं हुई है.
दूसरी समिति के अध्यक्ष हैं अजय तिर्की. यह समिति हाल ही में अस्तित्व में आयी. फूलचंद तिर्की की समिति के भंग होने के बाद इसका चुनाव कराया गया. अभी हाल में इस समिति का विस्तार भी किया गया. इस समिति को फूलचंद तिर्की के ग्रुप ने फरजी कहा अौर कहा कि यह चर्च प्रायोजित समिति है.
केंद्रीय सरना समिति के नाम से एक अौर संगठन है. उसके अध्यक्ष का नाम भी अजय तिर्की है. इस समिति का दावा है कि यह रजिस्टर्ड संस्था है अौर यहीं असली केंद्रीय सरना समिति है. हालांकि यह समिति सरहुल अौर ऐसे ही कुछ खास अवसरों पर सक्रिय होती है.
जगलाल पाहन बताते हैं कि केंद्रीय सरना समिति का गठन 12 मार्च 1970 को हुआ था. समिति के गठन में आदिवासी बुद्धिजीवी अौर प्रखर नेता स्व कार्तिक उरांव का बड़ा योगदान था. उनके साथ-साथ मादी पाहन, दुखी पाहन, नारायण उरांव सहित अन्य लोग भी थे. 1970 के आसपास सिरोम टोली के सरना स्थल पर कुछ लोगों द्वारा जमीन पर कब्जा कर चहारदीवारी बनाने की कोशिश की जा रही थी. जमीन को बचाने, संस्कृति अौर परंपरा को बनाये रखने के लिए केंद्रीय सरना समिति का गठन किया गया. सिरोम टोली की जमीन को अतिक्रमण से बचाया गया. उसके बाद से समिति ने अपना दायित्व बखूबी निभाया. जगलाल पाहन बताते हैं कि तब रांची अौर आसपास के 20-25 किलोमीटर के दायरे में आनेवाले गांवों तक केंद्रीय सरना समिति की पकड़ थी.
समाज में जा रहा है गलत संदेश
सरना समुदाय के कई लोग इस स्थिति से चिंतित हैं. वर्तमान में केंद्रीय सरना समिति अपने लक्ष्य से भटक गयी है. यह वैसे लोगों का समूह बन रहा है, जो धार्मिक या सामाजिक सरोकारों से ज्यादा अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा पूरी करनी चाहते हैं. इससे समाज में गलत संदेश जा रहा है.
जगलाल पाहन, हातमा

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