16 जिलों के अधिकारियों को शोकॉज, सात दिन में मांगा जवाब
रांची : स्वास्थ्य के क्षेत्र में केंद्र प्रायोजित योजनाओं को जिला स्तर के कुछ अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. इसको लेकर स्वास्थ्य निदेशालय गंभीर है. विभाग के निदेशक प्रमुख प्रवीण चंद्रा ने नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंसन फॉर कैंसर, डायबिटीज, सीबीडी एंड स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) और नेशनल ओरल हेल्थ प्रोग्राम (एनओएचपी) को गंभीरता से नहीं […]
रांची : स्वास्थ्य के क्षेत्र में केंद्र प्रायोजित योजनाओं को जिला स्तर के कुछ अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. इसको लेकर स्वास्थ्य निदेशालय गंभीर है. विभाग के निदेशक प्रमुख प्रवीण चंद्रा ने नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंसन फॉर कैंसर, डायबिटीज, सीबीडी एंड स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) और नेशनल ओरल हेल्थ प्रोग्राम (एनओएचपी) को गंभीरता से नहीं लेनेवाले 16 जिले के संबंधित अधिकारियों को शो कॉज जारी किया है. उन्होंने सात दिन के अंदर जवाब मांगा है.
एनपीसीडीसीएस में 15 जिले नहीं दे रहे रिपोर्ट
देश में कैंसर के बढ़ रहे मरीजों को देखते हुए केंद्र सरकार ने एनपीसीडीसीएस योजना की शुरुआत की है. इसके तहत 30 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों की जांच की जानी थी. खास कर ओरल, सर्वाइकल व ब्रेस्ट कैंसर की जांच होनी थी. साथ ही मधुमेह और ब्लड प्रेशर की भी जांच की जानी है. जांच के बाद संबंधित परिवार के सभी लोगों का निबंधन कर उनका स्वास्थ्य कार्ड एक फैमिली फोल्डर बना कर संबंधित स्वास्थ्य उपकेंद्रों में रखा जाना था. रोग के लक्षण पाये जाने पर उचित इलाज की व्यवस्था होनी थी. इस योजना के लिए राज्य स्तर पर पूरी तैयारी कर ली गयी थी. जिला स्तर पर भी जवाबदेही तय थी, पर साहेबगंज, दुमका, गढ़वा, देवघर व धनबाद जिले में इसे लेकर क्या काम हो रहा, इसका समय पर मासिक प्रतिवेदन नहीं भेजा जा रहा. नियमानुसार मासिक प्रतिवेदन माह की 10 तारीख तक आ जाना था, पर आता नहीं. इस अभियान को और तेज करने के लिए चालू वित्त वर्ष में 10 जिले के सीएचसी का भी चुनाव किया गया था. इन 10 जिले में चतरा, गोड्डा, जामताड़ा, लोहरदगा, पाकुड़, सिमडेगा, रामगढ़, खूंटी, गिरिडीह व पलामू शामिल हैं. वित्त वर्ष समाप्ति पर है, पर इन जिलों के सीएचसी स्तर पर अभी तक कार्य शुरू हुआ या नहीं, इसका भी कोई मासिक प्रतिवेदन नहीं भेजा गया है.
एनओएचपी में भी स्थिति ठीक नहीं
इसी प्रकार नेशनल ओरल हेल्थ प्रोग्राम (एनओएचपी) के तहत सभी जिलों में कार्यरत नियमित दंत चिकित्सा पदाधिकारियों को इस अभियान को चलाना था. उन्हें अपने काम का मासिक प्रतिवेदन प्रत्येक माह की पांच तारीख को अपने जिला नोडल पदाधिकारी के माध्यम से 10 तारीख तक राज्य कोषांग को उपलब्ध कराना था. पर इस मामले में भी 24 जिलों में से देवघर, रांची, हजारीबाग, प सिंहभूम व सरायकेला नियमित व दुमका व सिमडेगा अनियमित रूप से काम की प्रगति से संबंधित मासिक प्रतिवेदन भेज रहे हैं, जबकि अन्य 17 जिलों से अब तक कोई रिपोर्ट नहीं आयी है.