कल्याण विभाग के तहत जेटीडीएस का गठन कर आदिम जनजातियों सहित अन्य जनजातीय बहुल गांवों में यह कार्यक्रम वर्ष 2003 से शुरू हुअा था. वहीं वर्ष 2015 में इसमें सशक्तीकरण व आजीविका कार्य भी जुड़ा. समीक्षा जेटीइएलपी कार्यक्रमों की ही होनी है. यानी गत करीब दो वर्षों के दौरान संचालित कार्यक्रमों का प्रभाव जाना जायेगा.
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आदिवासी विकास कार्यक्रमों का किया जायेगा मूल्यांकन
रांची : झारखंड जनजातीय विकास सोसाइटी (जेटीडीएस) के तहत संचालित आदिवासी सशक्तीकरण व आजीविका परियोजना (जेटीइएलपी) का प्रभाव जानने के लिए इसका थर्ड पार्टी मूल्यांकन होगा. रामकृष्ण मिशन सोसाइटी से इस संबंध में प्रस्ताव मांगा गया है. यदि मूल्यांकन की लागत अधिक हुई, तो इच्छा की अभिव्यक्ति (एक्सप्रेशन अॉफ इंटरेस्ट) के जरिये मूल्यांकन करने वाली […]
रांची : झारखंड जनजातीय विकास सोसाइटी (जेटीडीएस) के तहत संचालित आदिवासी सशक्तीकरण व आजीविका परियोजना (जेटीइएलपी) का प्रभाव जानने के लिए इसका थर्ड पार्टी मूल्यांकन होगा. रामकृष्ण मिशन सोसाइटी से इस संबंध में प्रस्ताव मांगा गया है. यदि मूल्यांकन की लागत अधिक हुई, तो इच्छा की अभिव्यक्ति (एक्सप्रेशन अॉफ इंटरेस्ट) के जरिये मूल्यांकन करने वाली संस्था का चयन किया जायेगा.
इस कार्यक्रम के लिए भी पहले की तरह संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास फंड (अाइफाड) ही धन मुहैया कराती है. फिलहाल यह कार्यक्रम जनजातीय उप योजना (टीएसपी) से संबद्ध 14 जिलों के 30 प्रखंडों के 1589 गांवों में चल रहा है. इस कार्यक्रम का लक्ष्य ग्राम सभाअों व समुदाय आधारित संस्थानों का सशक्तीकरण, जनजातीय परिवारों को प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के जरिये खाद्यान्न सुरक्षा देना तथा गरीब परिवारों की आय में वृद्धि कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है.
इन जिलों में चल रहा है कार्यक्रम : राज्य के रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, प सिहंभूम, पू सिंहभूम, सरायकेला-खरसांवा, लातेहार, गोड्डा, दुमका, पाकुड़, साहेबगंज व जामताड़ा जिले में चल रहा है कार्यक्रम.
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