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दिल्ली महिला आयोग का फैसला : काम के एवज में चाईबासा की लड़की को 2.18 लाख का भुगतान करे मालिक

रांची : ट्रैफिकिंग की शिकार झारखंड की लड़की को लेकर दिल्ली महिला आयोग ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. आयोग ने दिल्ली में लड़की को बंधुआ मजदूर के रूप में रख कर काम करानेवाले मालिक को 2,18,791 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा है. साथ ही झारखंड सरकार को भी पीड़िता के पुनर्वास के लिए […]

रांची : ट्रैफिकिंग की शिकार झारखंड की लड़की को लेकर दिल्ली महिला आयोग ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. आयोग ने दिल्ली में लड़की को बंधुआ मजदूर के रूप में रख कर काम करानेवाले मालिक को 2,18,791 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा है. साथ ही झारखंड सरकार को भी पीड़िता के पुनर्वास के लिए तीन लाख रुपये देने का आदेश दिया है. महिला अायोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने 17 फरवरी को आदेश जारी किया.

इसमें कहा गया है कि सभी जांच में यह पाया गया कि चाईबासा की पीड़िता को दिल्ली, पश्चिम विहार के प्रियदर्शनी अपार्टमेंट में रहनेवाले धर्मेंद्र धनवाल व बिंदु धनवाल ने बंधुआ मजदूर के रूप में रखा. इस दौरान उसे घर में बंद रखा गया. उसके साथ मारपीट की गयी. उसे खाना व पैसे भी नहीं दिये. इसलिए आरोपी सरकार द्वारा तय मिनिमम वेजेज के हिसाब से पीड़िता को 2,18,791 रुपये का भुगतान करे. पैसे दिलाने की जवाबदेही श्रम विभाग को उन्होंने सौंपी है. इसी प्रकार झारखंड सरकार को कहा है कि वह बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास के लिए बने कानून के तहत पीड़िता को तीन लाख रुपये दे. महिला आयोग की अध्यक्ष ने अपने आदेश की कॉपी सभी संबंधित लोगों को दी है.

क्या है मामला : चाईबासा की एक युवती को कामत प्लेसमेंट एजेंसी ने पश्चिम विहार, नयी दिल्ली स्थित प्रियदर्शनी अपार्टमेंट के धर्मेंद्र धनवाल के घर काम पर रखा. आरोप है कि धनवाल ने उसे बंधुआ मजदूर के रूप में रखा और बिना पैसे दिये काम कराया. इस दौरान उसकी पिटाई की गयी, खाना भी नहीं दिया गया. इस बात की सूचना स्वयंसेवी संस्था शक्ति वाहिनी को मिली, तो उन लोगों ने पुलिस की मदद से उसे मुक्त कराया. इस मामले में आरोपी ने 41,600 रुपये देने की बात कही, पर उसका कोई प्रमाण नहीं दे पाया. प्लेसमेंट एजेंसी का भी कोई पता नहीं चल पाया. इस पर महिला आयोग ने उक्त फैसला सुनाया.
अदालत ने फैसले से दिये कई संकेत , दूरगामी होंगे परिणाम
जानकारों के अनुसार इस फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे. अभी तक कार्रवाई नहीं होने के कारण ट्रैफिकिंग का धंधा काफी फल-फूल रहा था. इस फैसले के आलोक में अब आगे कार्रवाई आसान होगी और धंधेबाज पकड़े जायेंगे. राज्य सरकार को भी आर्थिक मदद का आदेश देकर यह संकेत दिया गया है कि अगर सरकारें सक्रिय नहीं होती हैं, तो उन्हें भी आयोग जवाबदेह बना सकता है.

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