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नगर निगम में खींचतान से शहर के लोग परेशान

रांची: पीने का पानी रांचीवासियों के लिए सबसे अहम मुद्दा है, लेकिन रांची नगर निगम इस मुद्दे पर कतई गंभीर नहीं दिख रहा है. पिछले वर्ष शहर में पीने के पानी किल्लत इस कदर हो गयी थी कि नगर निगम को हर दिन शहर के 340 जगहों पर टैंकर से पानी का वितरण कराना पड़ा […]

रांची: पीने का पानी रांचीवासियों के लिए सबसे अहम मुद्दा है, लेकिन रांची नगर निगम इस मुद्दे पर कतई गंभीर नहीं दिख रहा है. पिछले वर्ष शहर में पीने के पानी किल्लत इस कदर हो गयी थी कि नगर निगम को हर दिन शहर के 340 जगहों पर टैंकर से पानी का वितरण कराना पड़ा था. कई इलाकों में तो पीने के पानी को लेकर मारपीट तक की नाैबत आ गयी थी.

अंत में नगर निगम ने हर मोहल्ले में पर्याप्त संख्या में चापाकल लगाने की योजना बनायी. काम शुरू भी हुआ, लेकिन रफ्तार इतनी धीमी थी कि काम पूरा होने से पहले बरसात का मौसम आ गया. नतीजतन, शहर के विभिन्न इलाकों में 150 चापाकल नहीं लगाये जा सके.


उसके बाद नगर निगम ने निर्णय लिया कि नवंबर-दिसंबर से चापाकल लगाने का काम शुरू कर दिया जायेगा. लेकिन, अक्तूबर 2016 से फरवरी 2017 के बीच बोर्ड की बैठक नहीं हुई. इसलिए चापाकल लगाने पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. इधर, गरमी का मौसम दस्तक देने को है और इससे पहले ही शहर के कई इलाकों का जलस्तर नीचे जाने लगा है. नतीजतन, पूर्व में लगे कई चापाकल अौर निजी बोरिंग सूखने लगे हैं.
सीवरेज-ड्रेनेज के नाम पर बरबाद हो रहीं गलियां : शहर में सीवरेज-ड्रेनेज का काम कराने वाली एजेंसी ज्योति बिल्डटेक द्वारा पाइप लाइन बिछाने के नाम पर सड़कों को बरबाद किया जा रहा है. इसके अलावा कंपनी का काम भी काफी धीमी गति से चल रहा है. जैसे-तैसे सड़कों की खुदाई किये जाने व काफी धीमी गति से हो रहे कार्य के कारण लोगों का जीना मुहाल है. नगर निगम की उदासीनता के कारण इस मुद्दे पर भी कोई चर्चा नहीं हो पा रही है.

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