राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से की गयी सीएनटी में संशोधन रोकने की मांग

रांची : झारखंड आदिवासी संघर्ष मोरचा व विभिन्न सामाजिक संगठनों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, जनजातीय मामलों के मंत्री, राज्यसभा व लोकसभा अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को स्मार पत्र देकर सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक, जमाबंदी, लैंड बैंक कानून व स्थानीय नीति को रद्द करने की मांग की है़ पत्र में कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 11, 2017 7:50 AM

रांची : झारखंड आदिवासी संघर्ष मोरचा व विभिन्न सामाजिक संगठनों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, जनजातीय मामलों के मंत्री, राज्यसभा व लोकसभा अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को स्मार पत्र देकर सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक, जमाबंदी, लैंड बैंक कानून व स्थानीय नीति को रद्द करने की मांग की है़ पत्र में कहा गया है कि यदि ये संशोधन व नीतियां रद्द नहीं हुईं, तो आदिवासी-मूलवासियों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा़

यह जानकारी डॉ करमा उरांव, देवकुमार धान, सूर्य सिंह बेसरा, प्रेमशाही मुंडा, रायमुनी मुंडा व अन्य ने होटल गंगा आश्रम में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नीतियों से पूरे झारखंड में सामाजिक अराजकता व धार्मिक विषाक्तता की स्थिति है़ कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो व अन्य धर्मगुरुओं का राज्यपाल से मिल कर सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन को निरस्त करने की मांग करना आदिवासियों व मूलवासियों के हित में है़

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