झारखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बहुमत जुटाने में निभायी थी महत्वपूर्ण भूमिका
रांची: उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता चुने गये त्रिवेंद्र सिंह रावत का झारखंड से काफी लगाव रहा है. राज्य गठन के बाद यहां स्थायी सरकार बनाने में उनका काफी योगदान था. लोकसभा चुनाव (2014) समाप्त होने के करीब छह माह बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत को झारखंड का प्रभारी बनाया गया था. […]
इसमें सफल भी हुए. टिकट बंटवारे के बाद नाराज कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का काम किया. इसका असर विधानसभा की चुनाव में दिखा. पार्टी को राज्य में बहुमत मिला. दूसरी पार्टियों से तालमेल बैठाने और केंद्रीय नेतृत्व को झारखंड के नेताओं की भावनाओं से समय-समय पर अवगत भी कराया. उनके कुशल संगठन क्षमता के कारण कई संकट पर पार्टी मजबूत होकर उभरी. इसका असर रहा कि झारखंड में सरकार बनाने में कोई विवाद नहीं हुआ. सरकार बनने के बाद वह पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय का काम करने लगे. सरकार की योजनाओं लोगों तक पहुंचाने में कार्यकर्ताओं का उपयोग करने लगे. श्री रावत की खूबी यह थी कि वह मामूली कार्यकर्ताओं की समस्या भी गंभीरता से सुनते थे. इनके प्रभारी रहने के दौरान ही राज्य में भाजपा की नयी टीम भी बनायी गयी. नयी टीम से उपजे कई विवादों को बिना हो-हल्ला के ही सलटा दिया.