झारखंड में हर साल बढ़ रहे टीबी के एक लाख मरीज

एमडीआर टीबी की उपचार दर केवल 50 प्रतिशत राज्य में एमडीआर टीबी से ग्रसित 1100 लोग चिह्नित 80 हजार मरीज टीबी का इलाज ही नहीं कराते 35 हजार टीबी मरीजों का चल रहा है इलाज रांची : झारखंड में हर साल ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) के लगभग एक लाख मरीज बढ़ रहे हैं. डब्लूएचओ की रिपोर्ट से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 20, 2017 7:13 AM

एमडीआर टीबी की उपचार दर केवल 50 प्रतिशत

राज्य में एमडीआर टीबी से ग्रसित 1100 लोग चिह्नित

80 हजार मरीज टीबी का इलाज ही नहीं कराते

35 हजार टीबी मरीजों का चल रहा है इलाज

रांची : झारखंड में हर साल ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) के लगभग एक लाख मरीज बढ़ रहे हैं. डब्लूएचओ की रिपोर्ट से पता चलता है कि सरकार के पास इनमें से केवल 30 प्रतिशत मरीजों की जानकारी ही पहुंच पाती है. केवल 35 हजार टीबी के मरीज ही इलाज के लिए सरकार के पास पहुंचते हैं. करीब 80 हजार मरीज टीबी का कोई इलाज ही नहीं कराते हैं.

राज्य में यक्ष्मा नियंत्रण के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं. आरएनटीसीपी (रिवाइज्ड नेशनल टीबी कंट्रोल प्रोग्राम) में मानव संसाधन का सृजित बल 722 है, परंतु वहां केवल 380 लोेग ही कार्यरत हैं. शेष 342 पद रिक्त पड़े हैं. पीपीपी मोड पर शुरू की गयी योजनाओं का संचालन बंद है. हर साल दो से तीन प्रतिशत नये और 13 से 17 फीसदी पुराने टीबी मरीजों की टीबी एमडीआर (मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट) के रूप में चिह्नित की जा रही है. यहां यह उल्लेखनीय है कि एमडीआर टीबी की उपचार दर केवल 50 प्रतिशत है. इन मरीजों पर टीवी की दवाएं काम नहीं करती हैं. इसके मरीज एमडीआर टीवी ही फैलाते हैं. इस समय राज्य में एमडीआर टीबी से ग्रसित 1100 लोग चिह्नित किये गये हैं.

गांव के 80 फीसदी पुरुषों की टीबी से मौत

समाजिक कार्यकर्ता व टीबी उन्मूलन के लिए काम कर रहे मो हशमत रब्बानी का दावा है कि विश्रामपुर प्रखंड के बघमनवा गांव स्थित उरांव टोला में 80 फीसदी पुरुषों की मृत्यु टीबी से हुई है. उन्होंने बताया कि 25 घरों की आबादी वाले उरांव टोला के पुरुष टीबी के कारण मर गये. बाद में पता चला कि टोला की 14 विधवा औरतों को भी टीबी हो गयी है. उनमें से चार एमडीआर टीबी की चपेट में हैं. श्री रब्बानी ने मुख्यमंत्री रघुवर दास और स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी को पत्र लिख कर इसकी जानकारी दी है. सहायता मांगते हुए कहा है कि उरांव टोला के कई लोग दवा का कोर्स पूरा किये बिना बच्चों के साथ पलायन भी कर चुके हैं.

देश में हर तीन मिनट में टीबी से दो की मौत

ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2016 के मुताबिक देश में प्रति तीन मिनट में दो व्यक्तियों की मौत टीबी के कारण हो रही है. लगभग छह लाख बच्चे टीबी की वजह से स्कूल छोड़ रहे हैं. झारखंड में पुनरीक्षित यक्ष्मा नियंत्रण कार्यक्रम के तहत लगभग 35 हजार टीबी मरीजों का इलाज किया जा रहा है. बावजूद इसके हजारों की संख्या में टीबी मरीज इलाज से वंचित हैं. सरकार या गैर सरकारी संस्थाओं की पहुंच वहां तक नहीं हो पा रही है.

रांची. सामाजिक कार्यकर्ता मो हशमत रब्बानी ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिख कर झारखंड को टीबी मुक्त राज्य बनाने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है. साथ ही यक्ष्मा नियंत्रण के लिए विभिन्न कार्यालयों में खाली पड़े पदों को शीघ्र भरने के साथ साथ टीबी मरीजों के लिए पोषण व पेंशन की व्यवस्था लागू करने की मांग की है.

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