झारखंड RTI फोरम की चेतावनी के बाद बैकफुट पर रघुवर सरकार, RTI संशोधन विधेयक स्‍थगित

रांची : झारखण्ड आरटीआई फोरम के आंदोलन और आमरण अनशन की चेतावनी के बाद झारखंड की रघुवर सरकार ने सूचना अधिकार कानून में संशोधन वाला विधेयक स्‍थगित कर दिया है. मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस विधेयक को स्‍थगित रखने का फैसला किया गया. कैबिनेट की बैठक में कुल 22 प्रस्‍तावों पर मुहर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2017 6:33 PM

रांची : झारखण्ड आरटीआई फोरम के आंदोलन और आमरण अनशन की चेतावनी के बाद झारखंड की रघुवर सरकार ने सूचना अधिकार कानून में संशोधन वाला विधेयक स्‍थगित कर दिया है. मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस विधेयक को स्‍थगित रखने का फैसला किया गया. कैबिनेट की बैठक में कुल 22 प्रस्‍तावों पर मुहर लगी.

झारखंड आरटीआई फोरम ने सूचना कानून में संशोधन को जनविरोधी और गैरकानूनी करार दिया था. फोरम के अध्यक्ष बलराम और सचिव विष्णु राजगढ़िया ने कहा है कि अगर RTI एक्ट में छेड़छाड़ की गयी तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा. फोरम की ओर से संशोधन के विरोध में 23 मार्च को सुबह 10 बजे हरमू स्थित शहीद भगत सिंह पार्क में आमरण अनशन प्रारंभ करने की चेतावनी भी दी गयी थी.

फोरम ने आरोप लगाया कि रघुवर दास ने झारखंड में ईमानदार, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन का वादा किया है, लेकिन कुछ अधिकारी उन्हें गुमराह करके सूचना कानून की हत्या करना चाहते हैं. यह संशोधन राज्‍य में सूचना अधिकार कानून को फांसी देने जैसा साबित होगा. फोरम की ओर से मंगलवार को दोपहर 2.30 बजे प्रोजेक्ट भवन में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को ज्ञापन देकर प्रस्तावित संशोधन को रोकने का अनुरोध किया गया.

प्रस्तावित संशोधन में राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों को सूचना नहीं देने का नियम बनाया गया था. जबकि इस सम्बन्ध में भारत सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि उन्हें भी नागरिक समझकर सूचना दी जाए. संशोधन में गरीब से नागरिक अधिकार छीन लेने का प्रावधान किया गया था. अगर किसी गरीब नागरिक ने RTI से सूचना ली, तो उसका सिर्फ व्यक्तिगत उपयोग कर सकता है. अगर उसे किसी मंत्री या अधिकारी के भ्रष्टाचार की जानकारी मिले, तो भी उसे चुप रहना होगा.

फोरम का मानना है कि इसके अलावा इस संशोधन में कई ऐसे नियम बनाये गये थे, जिससे राज्य में RTI कानून पूरी तरह से मजाक बनकर रह जाएगा. अधिकारियों को इतने तरह के बहाने मिल जाएंगे, जिनके आधार पर नागरिकों को सूचना से वंचित कर दिया जायेगा.

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