आरोप : कंपनी की मिलीभगत से वाहनों में गलत यंत्र लगाते हैं झारखंड के डीटीओ और आरटीओ

रांची : झारखंड में गति सीमा यंत्र (स्पीड गर्वनर डिवाइस) के क्रियान्वयन का उल्लंघन किया जा रहा है. विभिन्न निर्माताओं द्वारा वाहनों में अलग-अलग ब्रांड के मॉडल व वैरियंट वाले गैर-अनुमोदित एवं अप्रमाणित स्पीड गर्वनर डिवाइस लगाये जा रहे हैं, जिससे वाहनों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और उससे कोई लाभ भी वाहन चलाकों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2017 7:05 AM

रांची : झारखंड में गति सीमा यंत्र (स्पीड गर्वनर डिवाइस) के क्रियान्वयन का उल्लंघन किया जा रहा है. विभिन्न निर्माताओं द्वारा वाहनों में अलग-अलग ब्रांड के मॉडल व वैरियंट वाले गैर-अनुमोदित एवं अप्रमाणित स्पीड गर्वनर डिवाइस लगाये जा रहे हैं, जिससे वाहनों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है और उससे कोई लाभ भी वाहन चलाकों को नहीं मिल रहा है.

ये बातें राष्ट्रीय सड़क संरक्षा परिषद के सदस्य व अंतराष्ट्रीय सड़क संरक्षा विशेषज्ञ डाॅ कमलजीत साई ने सोमवार को होटल ली लेक में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही. उन्हाेंने झारखंड के डीटीओ व आरटीओ पर कंपनी मालिकाें की मिली भगत से व्यावसायिक वाहनों में गलत यंत्र लगाने का आरोप लगाया है. आरोप है कि गलत यंत्र लगाकर करोड़ों की बंदर बांट हो रही है. गौरतलब है कि देश भर में 45 प्रतिशत दुर्घटनाएं बड़े व्यावसायिक वाहनाें के कारण होती, जबकि 12 प्रतिशत दुर्घटनाएं निजी वाहनों से. स्पीड गवर्नर लगने से दुर्घटनाओं में काफी कमी आयेगी.

पूरे देश को धोखा दे रहे हैं झारखंड के परिवहन अधिकारी

डाॅ कमलजीत साई ने कहा कि झारखंड के परिवहन अधिकारी राज्य सरकार से साथ पूरे देश को धोखा दे रहे हैं. झारखंड में 12 लाख नयी गाड़ी हैं, जबकि आठ लाख पुरानी. नये वाहनाें में कुछ कंपनी स्पीड गर्वनर डिवाइस लगा कर देती है, लेकिन आठ लाख पुरानी गाड़ियों में स्पीड गर्वनर डिवाइस लगाने में परिवहन अधिकारी करोड़ों कमा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सड़क संरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दूसरी विधियों में एक विधि वाहनाें में स्पीड गर्वनर डिवाइस का उपयोग है. यह डिवाइस वाहनों की गति को नियंत्रित करता है. इसलिए आवश्यक है कि ऐसे उपकरण गुणवत्ता के मानकों पर खरे उतरें. अधिकारियों को नियम का पालन करना चाहिए.

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