अंगरेजों के 39वीं पलटन के सिपाही नंबर 1446 थे मंगल पांडेय, आज है उनका शहादत दिवस

भारतीय स्वतंत्रता संग्रामका पहला नायक, पहला क्रांतिकारी या फिर पहला शहीदमंगलपांडेय का आज शहादत दिवस है. आजही के दिनआठ अप्रैल 1857 को उन्हें अंगरेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया था. 30 जनवरी 1827 को उत्तरप्रदेश के बलिया जिला केनगवां गांव में जन्मे मंगल पांडेयकोलकाता के निकट बैरकपुर में अंगेजों की छावनी में तैनातथे. वेअंग्रेजोंकी34नंबरदेशीसेनाकी39वींपलटनके1446नंबरकेसिपाहीथे. वे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2017 12:28 PM

भारतीय स्वतंत्रता संग्रामका पहला नायक, पहला क्रांतिकारी या फिर पहला शहीदमंगलपांडेय का आज शहादत दिवस है. आजही के दिनआठ अप्रैल 1857 को उन्हें अंगरेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया था. 30 जनवरी 1827 को उत्तरप्रदेश के बलिया जिला केनगवां गांव में जन्मे मंगल पांडेयकोलकाता के निकट बैरकपुर में अंगेजों की छावनी में तैनातथे.

वेअंग्रेजोंकी34नंबरदेशीसेनाकी39वींपलटनके1446नंबरकेसिपाहीथे.

वे ऐसे पहले भारतीय थे, जिन्होंने अंग्रेजों केवर्चस्व को खत्म कर देने का बिगुल फूंका और अंग्रेज अफसरोंमिस्टर बॉफ अैर मिस्टर हूयसन को मौत के घाट उतार दिया. मंगल पांडेय ने ऐसा जमादार रामटहल की उस चुनौती पर किया था किअंग्रेजों के कारतूस मेंगाय और सूअर की चर्बी का उपयोग किया जाता है, ऐसे में उनके लिए अपना धर्म बचाना मुश्किल है. चूंकि वह जमादारकोलकाता के ही दमदमछावनी मेंखलासी का काम करता था,जहां कारतूस बनता था तोऐसे में उसकी बात पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं था.

हालांकि उस समय अंगेरजों के खिलाफ गुस्सा तेज था और क्रांतिके लिए 31 मई 1857 की तारीख तय हुई थी, लेकिन उसके पहले ही 29 मार्च, 1857 कोमंगल पांडेय ने बगावत कर दी. उनके द्वारा द्वारा बैरकपुर छावनी में की गयीगोलीबारी के बाद अंग्रेजोंको सेना बुलानी पड़ी थी.

मंगल पांडेय आठ अप्रैल 1857 कोभले ही फांसी दे दी गयी, लेकिन उन्होंने हर भारतीय के मन में विद्रोह की ज्वाला जला दी. उनके विद्रोही तेवर के कारण हीआने वाले सालों में स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई तेज हुई और अंतत: 1947 में देश आजाद हुआ. मंगलपांडेय अविवाहित थे, उनके दो भाई गिरवर पांडेय व ललित पांडेय के वंशज आज भी हैं.

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