इस चुनाव में वामदलों की भूमिका महत्वपूर्ण

-मौजूदा आर्थिक नीतियों से बढ़ी है परेशानी- ।। बासुदेव आचार्य।। (वरिष्ठ माकपा नेता) मौजूदा समय में देश एक साथ कई संकटों का सामना कर रहा है. आर्थिक, कृषि, रोजगार की समस्या के अलावा भुखमरी और सांप्रदायिक तनाव बढ़ने से देश की धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था के सामने नयी चुनौतियां उभरी है. किसान, मजदूर की हालत काफी दयनीय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2014 5:44 AM

-मौजूदा आर्थिक नीतियों से बढ़ी है परेशानी-

।। बासुदेव आचार्य।।

(वरिष्ठ माकपा नेता)

मौजूदा समय में देश एक साथ कई संकटों का सामना कर रहा है. आर्थिक, कृषि, रोजगार की समस्या के अलावा भुखमरी और सांप्रदायिक तनाव बढ़ने से देश की धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था के सामने नयी चुनौतियां उभरी है. किसान, मजदूर की हालत काफी दयनीय हो गयी है. पिछले दस सालों में लाखों किसान आत्महत्या कर चुके हैं. यूपीए सरकार की नीतियों के कारण भ्रष्टाचार और बढ़ती महंगाई से आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. इस समस्या का समाधान न तो कांग्रेस के पास है और न ही भाजपा के पास. ऐसे में लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए वामदलों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है.

इस चुनाव में वामदल अपनी इस भूमिका को बखूबी निभायेंगे. हमारे एजेंडा में उन बातों को शामिल किया जायेगा, जो देश के हाशिये पर खड़े लोगों के हित में हो. वर्तमान सरकार ने अमीरों और गरीबों के बीच इतनी खाई बढ़ा दी है कि उसे दूर किया जाना सबसे पहले जरूरी है. कांग्रेस और भाजपा दोनों की आर्थिक नीतियों में कोई अंतर नहीं है. आर्थिक उदारीकरण के बाद किसान, मजदूर और गरीबों की हालत खराब हुई है. अमीर-गरीब के बीच फासला दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. इससे समाज में तनाव फैल रहा है. सामाजिक सदभाव और देश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा के लिए कांग्रेस व भाजपा से इतर एक वैकल्पिक सरकार देश की जरूरत है. देश को एक ऐसे विकास मॉडल की जरूरत है, जिससे समाज के सभी तबके का विकास हो सके. इस आम चुनाव में हमारा एजेंडा भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी और सांप्रदायिकता होगा.

इसी एजेंडे के सहारे वामदल देश में एक स्थायी और आम लोगों के हितों की रक्षा करने वाली सरकार गठित करना है. मौजूदा राजनीतिक माहौल में केंद्र की सत्ता पर कोई एक दल काबिज नहीं हो सकता है. ऐसे में अगली सरकार गंठबंधन की ही होगी. यूपीए सरकार की वापसी मुश्किल है और एनडीए सांप्रदायिक एजेंडे के कारण लोगों का भरोसा हासिल नहीं कर पायेगी. देश के लोग कभी भी कट्टरपंथी ताकतों में भरोसा नहीं जताते हैं. ऐसे में तीसरा मोरचा ही एक विकल्प के तौर पर उभरता है. वामदलों की कोशिश होगी कि केंद्र में ऐसी सरकार का गठन हो, जो लोगों को महंगाई, भ्रष्टाचार और कुशासन से मुक्ति दिला सके. साथ ही ऐसी आर्थिक नीति अपनाने की जरूरत है, जो समग्र विकास के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के विकास का नया रास्ता खोल सके. ग्रामीण क्षेत्रों के विकास से ही कृषि क्षेत्र में कार्यरत लोगों का जीवन खुशहाल हो सकेगा. वामदल इस चुनाव में गरीब, किसान, युवाओं और महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े मसलों को प्रमुखता से उठायेंगे. (बातचीत : विनय तिवारी)

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