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छऊ हमारी ऐतिहासिक धरोहर : राज्यपाल

शचिंद्र कुमार दासराज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि छऊ हमारी सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहर है. छऊ के कारण ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरायकेला-खरसावां जिला को पहचान मिली है. आने वाली पीढ़ी को इस धरोहर से जोड़ने की आवश्यकता है. इस नृत्य कला का भविष्य काफी उज्ज्वल है. श्रीमती मुर्मू ने सरायकेला के बिरसा स्टेडियम में […]

शचिंद्र कुमार दास
राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि छऊ हमारी सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहर है. छऊ के कारण ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरायकेला-खरसावां जिला को पहचान मिली है. आने वाली पीढ़ी को इस धरोहर से जोड़ने की आवश्यकता है. इस नृत्य कला का भविष्य काफी उज्ज्वल है. श्रीमती मुर्मू ने सरायकेला के बिरसा स्टेडियम में चैत्र पर्व छऊ महोत्सव के उदघाटन के बात यह बातें कही. स्वागत भाषण डीसी रमेश घोलप ने दिया.

ओड़िया भाषा में किया संबोधन: राज्यपाल ने अपने संबोधन की शुरुआत स्थानीय ओड़िया भाषा में की. इसके पश्चात उन्होंने हिंदी में व फिर ओड़िया में भाषण दिया. उन्होंने कहा कि सरायकेला-खरसावां में कई भाषाएं बोली जाती है, परंतु यहां की संस्कृति एक है. मौके पर मौजूद राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने कहा कि झारखंड सांस्कृतिक विविधताओं वाला प्रदेश है. राज्य सरकार की ओर से यहां की कला, संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.

छऊ नृत्य का आनंद उठाया: राज्यपाल ने चैत्र पर्व छऊ महोत्सव के दौरान छऊ नृत्य का आनंद उठाया. भवेश छऊ नृत्य कला केंद्र, देहरीडीह (खरसावां) के कलाकारों ने राज्यपाल के समक्ष खरसावां शैली में भगवान श्रीकृष्ण की माखन चोरी, सरायकेला शैली में चंद्रभागा, मानभूम शैली में महिषासुर बध व मयूरभंज के कलाकारों ने मेघ वर्ण (मयूर) नृत्य पेश किया.

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