सड़क में स्टोन की जगह मिट्टी का इस्तेमाल

रांची: राज्य के ग्रामीण इलाकों में बन रही सड़कों में मानक का पालन नहीं हो रहा है. खास कर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में मानक का उल्लंघन कर सड़कें बनायी जा रही है. सड़क निर्माण के क्रम में सबसे निचले स्तर यानी बेस लेयर पर प्राकृतिक स्टोन या क्रशर स्टोन चिप्स का इस्तेमाल करना है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 15, 2017 6:43 AM
रांची: राज्य के ग्रामीण इलाकों में बन रही सड़कों में मानक का पालन नहीं हो रहा है. खास कर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में मानक का उल्लंघन कर सड़कें बनायी जा रही है. सड़क निर्माण के क्रम में सबसे निचले स्तर यानी बेस लेयर पर प्राकृतिक स्टोन या क्रशर स्टोन चिप्स का इस्तेमाल करना है. इस मेटेरियल से जीएसबी का काम करना है.

प्रावधान में यही है, पर यहां धड़ल्ले से निचले लेयर पर मिट्टी-मोरम का इस्तेमाल हो रहा है. यह स्थिति पूरे राज्य में है. मिट्टी-मोरम के उपयोग के कारण सड़क का पहला लेयर ही कमजोर हो जाता है. ऐसे में सड़कें लगातार फेल कर रही हैं. सड़कों पर दरारें पड़ रही हैं. कहीं-कहीं सड़कें धंस रही हैं.

सड़कें फेल होने के मामले आये सामने
राज्य के कई इलाकों से कमजोर सड़क बनने व सड़कें फेल होने के मामले सामने आते रहे हैं. अक्सर दो-चार साल में पीएमजीएसवाइ की सड़कें टूटती रही है. कहीं-कहीं सड़कों के धंस जाने का मामला भी आया है. दरारें पड़ने की शिकायतें भी बहुत बार आयी है. इन मामलों को अलग-अलग स्तर से उठाया गया है. वहीं विधानसभा की कमेटी ने भी इस तरह की गड़बड़ी पकड़ी थी. जब सड़क को खोदा गया, तो नीचे के लेयर में मिट्टी पायी गयी थी, जिससे सड़क की गुणवत्ता काफी कमजोर थी.
क्या है मामला
केंद्र सरकार ने पीएमजीएसवाइ की सड़कों के लिए स्पेसीफिकेशन तय किया है. इसके मुताबिक ही सड़कों का निर्माण कराना है. इससे समझौता करने पर सड़कें कमजोर बनेंगी. प्रावधान में है कि नेचुरल स्टोन का इस्तेमाल करके सबसे नीचे के लेयर को मजबूत किया जाये. स्टोन या क्रशर चिप्स डाल कर उस पर रोलर चलाना है, ताकि वह पूरी तरह कंपैक्ट हो जाये. इसके बाद ही ऊपर के सारे लेयर मजबूत हो सकेंगे. अगर सबसे नीचे का लेयर मिट्टी-मोरम का हो, तो ऊपरी लेयर अपेक्षाकृत कम मजबूूत होगा.
ज्यादा कमाने के लिए हो रहा है ऐसा
जीएसबी कार्य मिट्टी-मोरम से करने पर ज्यादा पैसों की बचत होती है. प्रावधान में स्टोन का इस्तेमाल करने को कहा जाता है, पर मिट्टी-मोरम का काम करके जीएसबी का पैसा निकाल लिया जाता है. इसमें इंजीनियरों की भी सहभागिता होती है. ठेकेदार स्टोन के अभाव के नाम पर ऐसा कर रहे हैं. यानी मिट्टी-मोरम का काम करके स्टोन-चिप्स का पैसा ले रहे हैं.

Next Article

Exit mobile version