राजधानी के डॉक्टरों ने दो युवाओं को दी नयी जिंदगी
राजधानी में पहली बार हुए जटिल ऑपरेशन रांची : राजधानी के दो डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर दो युवाओं को नयी जिंदगी दी है. एक का ऑपरेशन इरबा स्थित मेदांता अस्पताल के कार्डियेक सर्जन डॉ संजय कुमार ने किया. इसमें मरीज के हृदय की मुख्य धमनी का जटिल ऑपरेशन किया गया. वहीं, दूसरा ऑपरेशन मेडिका […]
राजधानी में पहली बार हुए जटिल ऑपरेशन
रांची : राजधानी के दो डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर दो युवाओं को नयी जिंदगी दी है. एक का ऑपरेशन इरबा स्थित मेदांता अस्पताल के कार्डियेक सर्जन डॉ संजय कुमार ने किया. इसमें मरीज के हृदय की मुख्य धमनी का जटिल ऑपरेशन किया गया.
वहीं, दूसरा ऑपरेशन मेडिका अस्पताल के मेग्जिलोफेसियल व इएनटी की टीम ने किया. इसमें मरीज की खोपड़ी के नीच स्थित जबड़े का जटिल ऑपरेशन किया. ऑपरेशन के बाद दोनों मरीज पूरी तरह स्वस्थ हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है. डॉक्टरों की मानें, तो दोनों ही प्रकार के ऑपरेशन अब तक केवल महानगरों में ही किये जाते थे.
शरीर को ठंडा कर किया जाता है हार्ट का ऑपरेशन
डॉ संजय कुमार ने बताया कि 30 साल के मरीज को जमशेदपुर से हार्ट फेल्योर के बाद गंभीर अवस्था में अस्पताल आया था. उसका ऑपरेशन असाध्य रोग योजना के तहत किया गया. डॉ कुमार के मुताबिक मेडिकल साइंस में इस बीमारी को एओर्टिक डिसेक्शन कहा जाता है.
हार्ट की मुख्य धमनी दिल से निकल कर पूरे शरीर को रक्त भेजती है. इस धमनी में तीन लेयर होते हैं, जिसमें अत्यधिक रक्त प्रवाह से लेयर खराब हो जाती है. इस बीमारी में 50 फीसदी मरीज ऑपरेशन नहीं कराने पर एक से दो दिन में मर भी जाते हैं. ऑपरेशन करते समय मरीज के शरीर को ठंडा कर रक्त के संचार को बंद कर दिया जाता है. इसके बाद मुख्य धमनी के रास्ते, वाल्व एवं एओर्टा को दुरुस्त किया जाता है. इसमें कृत्रिम वाल्व की ग्राफ्टिंग की जाती है.
अत्यधिक रक्तस्त्राव से हो जाती है मरीज की मौत
मेडिका में 17 साल के युवा का सफल ऑपरेशन किया गया. मरीज के खोपड़ी के निचले भाग व नाक के अंदर एंजियो फाइब्रोइमा का ऑपरेशन होता है. इसके कारण काफी रक्तस्राव होता है. रक्तस्राव से कई बार मरीज की मौत तक हो जाती है. मेग्जिलोेफेसियल व इएनटी की टीम ने मरीज के ऊपरी जबड़े को काट कर एवं मस्तिष्क के निचले हिस्से से ट्यूमर तक पहुंचा गया. वहां स्थित ट्यूमर को काट कर हटाया गया. चिकित्सकों ने बताया कि यह काफी जटिल ऑपरेशन होता है, क्याेंकि नस की नली के क्षतिग्रस्त होने की संभावना रहती है.