झारखंड में 26,303 पुलिस बल की कमी, सुप्रीम कोर्ट ने लगायी फटकार

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बिहार एवं झारखंड समेत छह राज्यों में पुलिस बल में बडी संख्या में रिक्त पदों पर आज गहरी चिंता जताई और इन राज्यों के गृह सचिवों से व्यक्तिगत रुप से पेश होने या एक अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश ताकि वे इस मामले में उसकी मदद कर सकें. प्रधान न्यायाधीश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 18, 2017 7:57 AM

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बिहार एवं झारखंड समेत छह राज्यों में पुलिस बल में बडी संख्या में रिक्त पदों पर आज गहरी चिंता जताई और इन राज्यों के गृह सचिवों से व्यक्तिगत रुप से पेश होने या एक अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश ताकि वे इस मामले में उसकी मदद कर सकें. प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर खेहर की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में रिक्तियों का जिक्र किया और गृह सचिवों या उनके द्वारा अधिकृत अधिकारियों को इस मामले में उसकी मदद करने के लिए शुक्रवार को तलब किया.

झारखंड : सरकारी विभागों में 6,64,565 पद खाली, नौकरी के लिए भटक रहे युवा

न्यायालय ने कहा कि गृह सचिवों द्वारा अधिकृत अधिकारियों का रैंक संयुक्त सचिव पद से नीचे नहीं होना चाहिए. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति एस के कौल भी इस पीठ में शामिल हैं. पीठ ने कहा कि आंकडे, जो खासकर वर्ष 2013 से संबंधित है, संकेत देते हैं कि विभिन्न राज्यों में पुलिस बल में बडी संख्या में रिक्त पद है. उसने कहा, ‘‘हम रिक्तियों पर भर्ती की निगरानी का प्रयास करते हैं.’ उन्होंने कहा कि बिहार में 34, 454 और झारखंड में 26,303 सीट खाली है. न्यायालय ने छह राज्यों से कहा कि वे खाका तैयार करें कि रिक्तियों की भर्ती की कोशिश किस तरह की जायेगी. न्यायालय ने मनीष कुमार की याचिका की सुनवाई अब 21 अप्रैल के लिये निर्धारित की है
121 करोड़ की आबादी में 31 % युवा, लेकिन सरकारी विभाग में श्रम बल की कमी
बड़ी तादाद में महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर नियुक्तियां नहीं हो रहीं हैं. आंकड़े इस बात के गवाह हैं. यह हाल 121 करोड़ की आबादीवाले ऐसे देश की है, जहां 31 प्रतिशत जनसंख्या 20 से 44 साल के उम्र की है. अंगरेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक छह केंद्रीय मंत्रालयों रक्षा, मानव संसाधन, स्वास्थ्य, गृह, वित्त और कानून में रिक्त पदों की संख्या छह से 10 प्रतिशत तक है.
पुलिस, जांच एजेंसियां: देश में पुलिस बल पर भी भारी दबाव है, क्योंकि यहां भारी संख्या में पद खाली पड़े हैं. यह आंकड़ा करीब 24 प्रतिशत है. सीबीआइ जैसी देश की महत्वपूर्ण व प्रतिष्ठित जांच एजेंसी के भी 22 प्रतिशत पद रिक्त हैं. वहीं, इडी सिर्फ 36 प्रतिशत श्रमबल के दम पर काम कर रहा है.

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