24 से पहले विवाद सुलझायें, हमने हस्तक्षेप किया, तो परेशान हो जायेंगे

नगर निगम में चल रहा विवाद हाइकोर्ट नाराज दिया आदेश रांची नगर निगम की मेयर, नगर आयुक्त और चीफ इंजीनियर के बीच उत्पन्न हुए विवाद पर मंगलवार को झारखंड हाइकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया. राजधानी में मच्छरों के बढ़ते प्रकोप को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2017 5:36 AM
नगर निगम में चल रहा विवाद हाइकोर्ट नाराज दिया आदेश
रांची नगर निगम की मेयर, नगर आयुक्त और चीफ इंजीनियर के बीच उत्पन्न हुए विवाद पर मंगलवार को झारखंड हाइकोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया. राजधानी में मच्छरों के बढ़ते प्रकोप को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने कहा कि नगर निगम में चल रहे विवाद से गलत मैसेज जा रहा है. इससे बदनामी हो रही है और विवाद से विकास कार्य बाधित हो रहे हैं.
रांची : जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा सशरीर उपस्थित हुईं. इसके अलावा नगर आयुक्त प्रशांत कुमार आैर हेल्थ अॉफिसर डाॅ किरण भी कोर्ट में उपस्थित थीं. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने आदेश दिया कि मेयर, नगर आयुक्त, चीफ इंजीनियर और हेल्थ अॉफिसर जीपी के साथ बैठक कर आपसी विवाद को तुरंत सुलझायें. 24 अप्रैल से पहले विवाद सुलझा कर कोर्ट में कॉमन एफिडेविट पेश करें. किसी भी परिस्थिति में विकास कार्य बाधित नहीं होना चाहिए. खंडपीठ ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि अगर मेयर और नगर आयुक्त के बीच विवाद का समाधान जल्द नहीं होता है, तो कोर्ट इसमें हस्तक्षेप करेगा.
अगर हम ज्यूडिशियल अॉर्डर देते हैं, तो खतरा बढ़ जायेगा. मामले की जांच भी करा सकते हैं. इससे कठिन परिस्थिति पैदा हो सकती है. आगे क्या होगा, वह न तो कोर्ट को और न ही आपको मालूम है. इसलिए मिल बैठक कर अविलंब अपने विवाद का पटाक्षेप करें. टैक्स पेयर और सिटीजन को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन मई की तिथि निर्धारित की है.
नगर निगम को कई मुद्दों पर कोर्ट ने फटकारा
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने नगर निगम को कई मुद्दों पर फटकार लगायी. कहा कि शहर में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है. नगर निगम के दवा के छिड़काव से मच्छर नहीं भाग रहे हैं.
सभी क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये. टैंकरों की भी व्यवस्था की जाये. कूड़े-कचरे की नियमित सफाई होनी चाहिए. देश के विभिन्न नगरपालिकाअों में प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध है. आपने प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया? चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने एजी कॉलोनी के पास कूड़े का अंबार देखा है. साफ-सफाई क्यों नहीं हो रही है?
खंडपीठ ने कहा कि रांची पीआइएल बेंच नहीं बना सकते हैं. आये दिन मामले आते हैं. कार्य आपको ही करना है. मोमेंटम झारखंड के दाैरान राजधानी को सुंदर व स्वच्छ आपने ही बनाया था. वह सुंदरता व साफ-सफाई मेंटेन क्यों नहीं रखी गयी? 100 प्रतिशत नहीं, तो कम से कम 75 प्रतिशत तो मेंटेन करते.
रांची नगर निगम के अधिकारियों को कोर्ट ने दी नसीहत
लोगों को ढंग से पीने का पानी नहीं मिल रहा है और आपको सीसीटीवी कैमरों की पड़ी है
प्रार्थी के अधिवक्ता ने नगर निगम में सीसीटीवी कैमरा लगाने का सुझाव दिया. इस पर खंडपीठ ने कहा कि लोगों को ढंग से पीने का पानी नहीं मिल रहा है आैर आपकों सीसीटीवी कैमरे की पड़ी है. रांची नगर निगम की अोर से जवाब दाखिल कर बताया गया कि विवाद की वजह से 65 से अधिक प्रोजेक्ट लंबित हो गये हैं. राज्य सरकार की अोर से अधिवक्ता राजीव रंजन मिश्रा ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी दीवान इंद्रनील सिन्हा ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने राजधानी में मच्छरों के बढ़ते प्रकोप पर रोक लगाने की मांग की है.
चीफ जस्टिस ने सुनाया ओड़िशा का अनुभव
सुनवाई के दाैरान चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती ने अोड़िशा का अनुभव शेयर करते हुए कहा कि पुरी में जगन्नाथ मंदिर के आसपास काफी अतिक्रमण था. मामला उनके संज्ञान में आया. उन्होंने अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया. मंदिर के आसपास से अतिक्रमण हटाया जा चुका है.
चीफ जस्टिस ने मेयर से पूछे सवाल
रांची की मेयर आशा लकड़ा, नगर आयुक्त प्रशांत कुमार व चीफ इंजीनियर के बीच विवाद की वजह से राजधानी में विकास कार्य बाधित हो गये हैं. मामला संज्ञान में आने के बाद हाइकोर्ट ने उसे गंभीरता से लेते हुए मेयर आशा लकड़ा को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया था. कोर्ट के निर्देश पर मेयर आशा लकड़ा मंगलवार को कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुई थीं. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती ने मेयर से कई सवाल पूछे.
चीफ जस्टिस : आपका नाम क्या है?
मेयर : सर! आशा लकड़ा.
चीफ जस्टिस : रांची में कितने प्रोजेक्ट हैं. कितने लंबित है?
मेयर : कितने प्रोजेक्ट है, उसकी जानकारी मुझे नहीं दी जाती है. कोई प्रोजेक्ट रुका हुआ नहीं है. जो नियम है, उसके तहत कार्य करने का निर्देश देती हूं. नगर आयुक्त व मुख्य अभियंता सहयोग करें. नियम विरुद्ध कार्य नहीं करूंगी आैर किसी को भी करने नहीं दूंगी.
चीफ जस्टिस : कितना प्रोजेक्ट पेंडिंग हो गया है?
मेयर : मुझे योजनाअों के विषय में बताया नहीं जाता है. बताते तो मुझे पता चलता आैर मैं बता सकती थी. अधिकारी बात सुनते नहीं हैं. टेंडर की प्रक्रिया अधिकारी करते हैं.
टेंडर कमेटी की मैं अध्यक्ष हूं, फिर भी टेंडर के बारे में मुझसे राय नहीं ली जाती है. करोड़ों की योजनाएं होती हैं. अधिकारी योजनाओं को स्वीकृत कराने के लिए सीधे पहुंच जाते हैं. नियम विरुद्ध कार्य मैं नहीं कर सकती. दिसंबर से नगर आयुक्त को पत्र लिख कर जानकारी मांग रही हूं, लेकिन जानकारी नहीं दी जा रही है.
चीफ जस्टिस : प्रोसिड्योर फॉलो कर काम करना है. विवाद सुलझाने में कितना समय लगेगा? कितने समय से विवाद चल रहा है?
मेयर : हमारे तरफ से कोई विवाद नहीं है.

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