हाइकोर्ट की लगी फटकार …तो खत्म हो गये विवाद

रांची: रांची नगर निगम में चल रहे विवाद को दूर करने के लिए झारखंड हाइकोर्ट द्वारा दिये गये निर्देश के बाद बुधवार को सरकार के अधिवक्ता (जीपी) राजीव रंजन मिश्र की अध्यक्षता में बैठक हुई. बैठक में सर्वसम्मति से विवाद समाप्त करने पर सहमति बनी. कोर्ट के आदेश के अालोक में काॅमन एफिडेविट 24 अप्रैल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 20, 2017 6:37 AM
रांची: रांची नगर निगम में चल रहे विवाद को दूर करने के लिए झारखंड हाइकोर्ट द्वारा दिये गये निर्देश के बाद बुधवार को सरकार के अधिवक्ता (जीपी) राजीव रंजन मिश्र की अध्यक्षता में बैठक हुई. बैठक में सर्वसम्मति से विवाद समाप्त करने पर सहमति बनी. कोर्ट के आदेश के अालोक में काॅमन एफिडेविट 24 अप्रैल से पूर्व दायर करने पर भी सहमति बनी.

बैठक में मेयर आशा लकड़ा, नगर अायुक्त प्रशांत कुमार, चीफ इंजीनियर सुरेश पासवान, हेल्थ ऑफिसर डॉ किरण, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार, निगम के अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव शाामिल हुए. बैठक हाइकोर्ट परिसर स्थित एजी ऑफिस की लाइब्रेरी में हुई.

मेयर आशा लकड़ा ने बैठक के बाद कहा कि वह कभी नहीं चाहेंगी कि शहर का विकास अवरुद्ध हो. वह चाहती हैं कि निगम में कोई गड़बड़ी न हो. मेयर ने कहा कि जो भी टेंडर नियम संगत हुए हैं, उन सब फाइलों को अधिकारी भेजें. एक-एक कर सभी फाइलों का निबटारा किया जायेगा. मेयर के इस बात पर नगर आयुक्त ने कहा कि किसी टेंडर में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई है. आपके मन में कोई शंका है, तो सभी फाइलें भेज दी जायेंगी. नगर आयुक्त ने कहा कि आगे से जो भी कार्य होंगे, उसकी जानकारी मेयर को पहले ही दे दी जायेगी.
छह माह से निगम में चल रहा उठा-पटक
रांची नगर निगम में पिछले छह माह से उठा-पटक का दौर चल रहा है. इसकी शुरुआत अक्तूबर में हुई थी, जब मेयर ने आरोप लगाया था कि शहर में लाइट मेंटेनेंस करने वाली कंपनी ब्राइट न्यून साइन प्रतिवर्ष सात करोड़ का चूना नगर निगम को लगा रही है. मेयर के इस आरोप को नगर आयुक्त ने खारिज करते हुए कहा था कि हमें ऐसी किसी गड़बड़ी की सूचना नहीं है. उसके बाद मेयर व नगर आयुक्त में तल्खी बढ़ती चली गयी. हालात यह बन गये कि शहर के विकास कार्यों से जुड़ी 65 से अधिक योजनाओं की फाइलें लटक गयीं.
हाइकोर्ट ने मंगलवार को दिया था अादेश
झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को मेयर व अधिकारियों के बीच उत्पन्न विवाद को गंभीरता से लेते हुए कड़ा आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि तुरंत बैठक करें और अपने सभी विवाद का हल निकालें. विकास कार्य बाधित न हो. यदि विवाद खत्म नहीं होता है, तो कोर्ट हस्तक्षेप करेगा.

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