एक हाथ से आंसू पोछ रहा था, दूसरे से भाई के शव को धूप से बचाने के लिए छाता लगा दिया
।।अनुज कुमार सिन्हा ।। इन दो तस्वीरों को देखिए. इनमें से एक तसवीर अपने अखबार प्रभात खबर के 25 अप्रैल के अंक में छपी है. मार्मिक तसवीर. पतरातू घाटी में बाराती बस दुर्घटना में इस बच्चे ने अपने भाई को खो दिया. स्कूल में पढ़ता था. बड़े भाई को अंतिम विदाई देने के लिए छोटा […]
।।अनुज कुमार सिन्हा ।।
इन दो तस्वीरों को देखिए. इनमें से एक तसवीर अपने अखबार प्रभात खबर के 25 अप्रैल के अंक में छपी है. मार्मिक तसवीर. पतरातू घाटी में बाराती बस दुर्घटना में इस बच्चे ने अपने भाई को खो दिया. स्कूल में पढ़ता था. बड़े भाई को अंतिम विदाई देने के लिए छोटा भाई श्मशान घाट आया. कड़ी धूप थी. माहौल गमगीन था. एक साथ कई शवोंका अंतिम संस्कार करना था. देर हो रही थी.
गरमी बढ़ती जा रही थी. छोटा भाई अपने बड़े भाई (यहां शव की बात हो रही है) को धूप से बचाने के लिए बेचैन था. छाता से उसने अपने भाई के शव को धूप से बचाने का भरसक प्रयास किया. वह यह जान रहा था कि उसका भाई अब नहीं रहा. आंखों से आंसू बह रहे थे लेकिन भाई का प्रेम यह मानने को तैयार नहीं था कि उसके बड़े भाई पर न तो धूप का असर पड़ने वाला है, न ही पानी का. यह तसवीर समाज के किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को विचलित कर सकती है. मुझे भी किया. इस तसवीर को देखते ही मैं अतीत में खो गया. 43 साल पहले की एक घटना ताजा हो गयी.