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आधार नंबर की सुरक्षा जरूरी : प्रो ज्यां द्रेज
रांची : अर्थशास्त्री प्रो ज्यां द्रेज ने समाज कल्याण सचिव एमएस भाटिया के उस बयान को गलत बताया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आधार डाटा लीक नहीं हुआ है़बुधवार को एक्सआइएसएस में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रो ज्यां द्रेज ने आधार कार्ड के लीक डाटा का स्क्रीन शॉट जारी किया़ उन्होंने कहा कि फिंगरप्रिंट […]
रांची : अर्थशास्त्री प्रो ज्यां द्रेज ने समाज कल्याण सचिव एमएस भाटिया के उस बयान को गलत बताया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि आधार डाटा लीक नहीं हुआ है़बुधवार को एक्सआइएसएस में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रो ज्यां द्रेज ने आधार कार्ड के लीक डाटा का स्क्रीन शॉट जारी किया़
उन्होंने कहा कि फिंगरप्रिंट का डमी बनाना आसान है, इसलिए आधार नंबर की सुरक्षा और भी महत्वपूर्ण है़ पिछले दिनों मुंबई के एक शिक्षण संस्थान में डुप्लीकेट फिंगरप्रिंट से बायोमेट्रिक्स उपस्थिति दर्ज कराने का मामला सामने आया है़ झारखंड में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जुड़े 15-16 लाख आधार नंबर के डिटेल लीक हुए हैं और यह महीनों तक सार्वजनिक रहा़ यह आधार कानून के खिलाफ है़ यूआइडीएआइ को कार्रवाई करनी चाहिए़
बैंक का नाम, खाता नंबर और पूरा आधार नंबर सार्वजनिक : प्रो ज्यां द्रेज ने महिला बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग की वेबसाइट का स्क्रीन शॉट दिखाया, जिसमें पीआइडी नंबर, पीपीओ नंबर, नाम, स्कीम, उम्र, पिता/पति का नाम, लिंग, बैंक का नाम, शाखा, एकाउंट नंबर, केटेगरी (एससी /एसटी) और पूरा आधार नंबर दर्ज है़ उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की कई योजनाओं से जुड़ी वेबसाइट से उक्त डाटा लीक हुए है़
इनमें मिजोरम व चंडीगढ़ के पीडीएस, कर्नाटक के नेशनल हेल्थ मिशन, केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन सहित देशभर की 25-30 वेबसाइट शामिल है़ रिलायंस के पास करोड़ों लोगों के अंगूठे के निशान है़ कुछ प्राइवेसी लॉ होनी चाहिए़
खूंटी के गांवों के सामाजिक सुरक्षा से जुड़े आंकड़े जुटाने के दौरान हुआ खुलासा
भोजन का अधिकार अभियान से जुड़े धीरज कुमार ने बताया कि जब वे खूंटी के गांवों के सामाजिक सुरक्षा से जुड़े आंकड़े जुटा रहे थे, तब यह बात सामने आयी़ उनके पास खूंटी के मुरही गांव के 466 पेंशनर्स के डिटेल है़ ये आंकड़े 21 अप्रैल को निकाले गये थे़ 22 अप्रैल को इस मामले में रोड स्कॉलर के नाम से ट्विट हुआ, जिसके बाद 22 को ही वेबसाइट ब्लॉक कर दिया गया़
25 को सुधार कर वेबसाइट शुरू किया गया है़ अब इस साइट पर सिर्फ पेंशनर का नाम, पिता/ पति का नाम और पीआइडी नंबर डालने पर पासबुक व आधार कार्ड के अंतिम चार डिजिट दिखते है़, जबकि पहले ये सभी सूचनाएं वेबसाइट के डैशबोर्ड पर था और सार्वजनिक था़ ये आंकड़े समाज कल्याण विभाग उपलब्ध कराता है, एनआइसी सिर्फ ऑपरेटर है़ इसलिए कोई भी कार्रवाई सचिव के स्तर पर होनी चाहिए़
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