झारखंड : काम के बोझ से दबी पुलिस को फिट रहने का वक्त नहीं

रांची : झारखंड में पुलिस के 70 हजार स्वीकृत पद हैं. इसमें से 26 हजार से अधिक पद रिक्त पड़े हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने रिक्त पड़े पदों को भरने का निर्देश दिया है. आंकड़े देखें, तो पुलिसकर्मियों के करीब 30 प्रतिशत पद रिक्त पड़े हैं. इसका असर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी और स्वास्थ्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 27, 2017 1:58 AM
रांची : झारखंड में पुलिस के 70 हजार स्वीकृत पद हैं. इसमें से 26 हजार से अधिक पद रिक्त पड़े हैं. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने रिक्त पड़े पदों को भरने का निर्देश दिया है. आंकड़े देखें, तो पुलिसकर्मियों के करीब 30 प्रतिशत पद रिक्त पड़े हैं. इसका असर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी और स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. उन्हें खुद को फिट रखने का वक्त नहीं मिलता.70 प्रतिशत पुलिस अधिकारी व जवान काम के बोझ से दबे हैं. पुलिसकर्मियों पर काम का दवाब का स्तर का अंदाजा ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की दो साल पुरानी रिपोर्ट से भी होती है.
ब्यूरो ऑफ रिसर्च एंड डेवलपमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक 90 प्रतिशत से ज्यादा पुलिस अधिकारी आठ घंटे से अधिक ड्यूटी करते हैं. जबकि 68 प्रतिशत पुलिसकर्मी 11 घंटे से अधिक और 28 प्रतिशत अधिकारी व पुलिसकर्मी दिन भर में 14 घंटे काम करते हैं. ऐसे में वह न तो समय पर खाना खा पाते हैं, न समय पर सो पाते हैं. फिट रहने के लिए व्यायाम या योगा की बात तो दूर, उन्हें न तो साप्ताहिक अवकाश मिलता है और न ही समय पर छुट्टी. इसका असर उनके काम-काज पर भी दिखता है.
नहीं मिलता साप्ताहिक अवकाश : पुलिस कार्यालयों में पदस्थापित पुलिस पदाधिकारियों व जवानों को तो रविवार के दिन या छुट्टी के अवकाश मिल जाता है, लेकिन थाना, ओपी, पोस्ट, ट्रैफिक में तैनात अधिकारियों व जवानों को सातों दिन काम करना पड़ता है. पुलिसकर्मियों के अनुसार साप्ताहिक अवकाश की चर्चा तो होती है, लेकिन शुरू नहीं होती.
केस स्टडी-1
ट्रैफिक सिपाही नरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस लाइन में उन्हें क्वार्टर मिला हुआ है. सुबह आठ बजे ड्यूटी के लिए निकलते हैं. साढ़े आठ बजे से उनकी ड्यूटी किसी चौक या चौराहा पर लगती है. रात साढ़े नौ बजे उनकी ड्यूटी समाप्त होती है. दस बजे वह घर पहुंचते हैं. देर से खाना खाने के कारण परेशानी होती है. शरीर को फिट रखने के लिए सुबह उठ कर टहलने के शिवा कुछ नहीं कर पाते. कभी-कभी वीवीआइपी मुवमेंट और अन्य कारणों से पुलिस लाइन बुला लिया जाता है. जिसके कारण टहलने भी नहीं निकल पाते. नरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि ड्यूटी के कारण परिवार व अन्य सामाजिक कार्यों में भी समय नहीं दे पाते.
केस स्टडी-2
कोतवाली के दारोगा विनोद कुमार शर्मा के मुताबिक ड्यूटी तो आठ घंटे रहती है, लेकिन हमलोग 24 घंटे ड्यूटी में तैनात रहते हैं. रात में ड्यूटी करने के कारण शरीर को फिट रखने का मौका हमें नहीं मिल पाता. व्यायाम तो काफी दिन पहले ही छूट गया है. हमारे खाने का कोई समय नहीं है. जब मौका मिलता है, खा लेते हैं. सुबह में एक बार सही से खाने का मौका मिलता है, उसके बाद खाना का कोई समय फिक्स नहीं है. विनोद कुमार शर्मा चाइबासा जिला बल से स्थानांतरित होकर रांची आये हैं. उन्होंने बताया कि वहां शरीर के लिए कुछ समय निकाल लेते थे, लेकिन यहां शरीर को फिट रखने का समय नहीं मिलता.

Next Article

Exit mobile version