रांची : भोर सिंह यादव 2014 बैच के आइएएस आॅफिसर हैं. फिलहाल रांची में एसडीओ के पद पर काम कर रहे हैं. अपनी सक्रियता के कारण शहर में चर्चित हैं. सड़क से लेकर रांची के सुदूर अंचल कार्यालय तक इनकी सक्रियता हैं. सुबह छह बजे हेलमेट चेक करते दिख जायेंगे, तो देर रात तक गोदामों में छापामारी भी करते मिलेंगे. लंबे अंतराल के बाद राजधानी में किसी एसडीओ के काम की धाक दिख रही है. ‘प्रभात खबर’ ने भोर सिंह से उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि, शिक्षा, प्रशासनिक जवाबदेही सहित कई मुद्दों पर बातचीत की.
आइपीएस में क्यों नहीं ज्वाइन किया. काम तो पुलिसिया स्टाइल में ही कर रहे हैं?
यूपीएससी के इंटरव्यू में भी यह सवाल पूछा गया था. अपने सीनियर से इस पर बात भी की थी. इसलिए आपके सवाल सहज लग रहे हैं. पहले तो दोनों के काम के स्कोप का मामला है. पुलिस सेवा थोड़ा लिनियर काम हो जाता है. यहां आपके पास दायरा बड़ा है. ऐसे दोनों ही सेवाएं अपने-अपने जगह महत्वपूर्ण हैं. बेहतर काम करें, यही फोकस हो. रिजल्ट ओरियेंटेड होना चाहिए.
आपके काम की चर्चा है. राजधानी में आप जाना-पहचाना नाम हो गये हैं.
नहीं, मुझे ऐसा तो नहीं लगता. क्यों चर्चा होगी. मैं तो केवल अपना काम कर रहा हूं. एसडीओ ट्रैफिक पुलिस का काम आसान कर रहा है. खुद धड़-पकड़ कर रहे हैं. चर्चा तो होगी ही. देखिए, मामला ट्रैफिक पुलिस का नहीं है. व्यवस्था कानून से चलती है. मैं लोगों को बस कानून मानने की सलाह देता हू. कानून माननेवाले पुलिस-प्रशासन की सक्रियता से खुश ही होते होंगे. हमारा काम किसी को परेशान करना नहीं है.
कुछ लोग ब्यूरोक्रेटिक ओवर-एक्टिज्म की बात भी करते हैं. आप ऐसे सिस्टम बनायें या आपके सिस्टम में इन चीजों को देखने वाले लोग तो है.
ट्रैफिक पुलिस या प्रशासन के कई लोग रात-दिन काम करते हैं. एक ट्रैफिक पुलिस बिना पानी के घंटों काम करता है.संसाधन की कमी है, लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है. ट्रैफिक एसपी हों या डीएसपी जब उनके काम को देखने, अासान करने पहुंचता हूं, तो उसका भी मनोबल बढ़ता है. मैं जब खड़ा होता हूं, तो उन पुलिसवालों की परेशानी भी देखता हूं. मैं सिल्ली, अनगड़ा जाता हूं, तो वहां की समस्या से लेकर बाकी चीजें देखता हूं. वहां काम करनेवाले अफसर को भी लगता है कि कोई हमारा काम देखने वाला है. जवाबदेही बढ़ती है.
ग्रास रूट के कई मामलों के निपटारा भी आपकी जवाबदेही है. क्या आप नियमित कोर्ट भी लगाते हैं!
मैं नियमित रूप से कोर्ट लगाता हूं. मैं मामले को लिंगर नहीं करता. मेरी कोशिश होती है कि मामलों का निपटारा जल्द से जल्द हो. 144 के मामले लटकाये नहीं जाते. 107 के मामले में आप देखेंगे कि सुबह यहां कितने लोग पहुंचते हैं. सामाजिक सौहार्द, शांति बना रहे, मेरी कोशिश होती है.बुढमू में एक घटना हुई थी. मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा थी. जुलूस मसजिद के रास्ते ले जाना चाहते थे. मैंने लोगों को समाज में शांति भंग करने से राेकने के उपाय निकाले. उनको साथ-साथ बैठने को कहा. एक दूसरे से मेल-मिलाप करने और समाज के दूसरे लोगों तक संदेश पहुंचाने की जिम्मेवारी दी. बैठकों की वीडियोग्राफी हुई. गांव के लोग लड़ना नहीं चाहते. सबने मिल कर ही रास्ता निकाला. मैंने लोगों से कहा कि आप साथ-साथ खाना खायेंगे. ऐसे कार्यक्रम बनायें. अब जुलूस को लेकर कोई लड़ाई नहीं है.
डिलिवरी सिस्टम दुरुस्त हो. नीचे तक लोगों को योजनाओं का लाभ मिले. भ्रष्टाचार रुके, यह भी आप जैसे अफसरों की जवाबदेही है.
डिलिवरी सिस्टम भ्रष्टाचार मुक्त हो, यह सरकार से लेकर हमारे सीनियर अफसर भी चाहते हैं. सरकार की योजनाओं को बिचौलियों से बचाना है. इसको लेकर भी सभी संवेदनशील हैं. मैं भी अपने दायरे में काम करता हूं. हमें अपने सीनियर अफसरों का पूरा साथ मिल रहा है.
कभी-कभी अफसर पब्लिक में फेस व्यैल्यू बढ़ाने के लिए भी काम करते. आम लोगों के बीच हीरो बनना चाहते हैं.
ना-ना, मैं हीरो नहीं बनना चाहता. मैं जिस सर्विस में हूं, उसमें लीडरशिप तो लेनी ही होगी. आपको आगे आ कर जवाबदेही लेनी होगी. बस मैं वही कर रहा हूं, पब्लिक सर्विस का पैशन होना चाहिए. मैं अपने सीनियर के आदेश का पालन करता हूं, उनको जानकारी दे कर काम करता हूं. डीसी सर से बात करता हूं, अपने जूनियर अफसर-कर्मचारी से काम चाहता हूं, बस़ पंडरा को लेकर आप विवाद में आ गये. व्यवसायियों को एकदम पंडरा से हटने का निर्देश दिया.
मैं नहीं चाहता कि कोई व्यवसायी हटाये जायें. मैं केवल नियम-कानून के तहत बात कर रहा था. कृषि बाजार में कृषि उत्पाद बिकेगा. किसानों को बढ़ावा देने के लिए बाजार समिति है. अब वहां स्टेशनरी की चीजें बिके, कहां से जायज है? एक ही खानदान के व्यापारी सारी दुकानें रख लें, दूसरे को व्यवसाय का मौका न मिले, यह भी तो नहीं हो सकता है़
आज जो कुछ भी हूं, उसमें शिक्षकों का बड़ा योगदान है
भोर सिंह यूपी के सोनभद्र जिला के रहनेवाले हैं. पिता बिजली विभाग में ऑपरेटर थे. खेती-किसानी भी घर में होती थी. पिता नौकरी के साथ खेती भी किया करते थे. भोर सिंह ने अपनी पढ़ाई सरकारी स्कूल से की. सोनभद्र से ही इंटर तक की पढ़ाई की. यूपीएससी में चयनियत अपने सीनियर से प्रभावित हो कर आइएएस की तैयारी की. भोर सिंह कहते हैं : आज मैं जो कुछ हूूं, उसमें शिक्षकों का बड़ा योगदान है. पहले बड़े अच्छे शिक्षक थे. शायद अब भी होंगे, लेकिन थोड़ी कमी जरूर दिखती है.
जानिए भोर सिंह यादव को
भोर सिंह के पिता बिजली विभाग में ऑपरेटर थे, इसके साथ वे खेती-किसानी भी करते हैं.भोर सिंह यादव कंप्यूटर इंजीनियर भी हैं. एनआइटी इलाहाबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है.इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद आठ वर्षों तक डीआरडीओ बंगलुरू में नौकरी की.वर्ष 2011 में इन्होंने आइआइएम, अहमदाबाद से मैनेजमेंट कीपढ़ाई की.वर्ष 2013 में पहली बार यूपीएसी में चयन हुआ. पुलिस सेवा के लिए भोर सिंह चुने गये. हालांकि, आइएसस बनना चाहते थे़ वर्ष 2014 में प्रशासनिक सेवा के लिए चुने गये.