जनी शिकार में चंदा मांगना गलत : समिति

रांची : केंद्रीय सरना समिति (अजय तिर्की गुट) ने कहा है जनी शिकार आदिवासी समुदाय का परंपरागत त्योहार है. शिकार में निकले, परंपरा का निर्वाह करें, पर वाहनों से चंदा वसूली न करें, यह गलत है. सरना समिति के सदस्यों ने कुछ इलाकों में महिलाअों को समझाया भी कि चंदा न वसूले. समिति की अोर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 1, 2017 8:22 AM
रांची : केंद्रीय सरना समिति (अजय तिर्की गुट) ने कहा है जनी शिकार आदिवासी समुदाय का परंपरागत त्योहार है. शिकार में निकले, परंपरा का निर्वाह करें, पर वाहनों से चंदा वसूली न करें, यह गलत है. सरना समिति के सदस्यों ने कुछ इलाकों में महिलाअों को समझाया भी कि चंदा न वसूले.
समिति की अोर से रविवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा गया कि किसी के घर में बाउंड्री के अंदर घुस कर जानवरों का शिकार न करें. सड़क पर या मैदान में अगर कोई जानवर मिले तो उसका शिकार करें. शांतिपूर्ण तरीके से जनी शिकार में हिस्सा ले. समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि जल्दी ही डीसी, एसएसपी को पत्र लिखकर इस परंपरा की जानकारी दी जायेगी. प्रशासन से सहयोग भी मांगा जायेगा, ताकि शांति-व्यवस्था बनी रहे. संवाददाता सम्मेलन में बलकू उरांव, संदीप तिर्की, सोनू खलखो, प्रदीप लकड़ा, दिनेश गाड़ी, करमा तिग्गा, अशोक उरांव, सत्या लकड़ा सहित अन्य उपस्थित थे.
जनी शिकार में नियमों का पालन करें : जगलाल पाहन
रांची : हातमा के जगलाल पाहन ने कहा कि जनी शिकार पर निकली महिलाओं की कुछ इलाकों में दूसरे समूह से झड़प हो रही है. अगर जनी शिकार में नियमों का पालन किया जायेगा, तो झड़प की संभावना कम होगी. पहले से ही नियम है कि किसी एक समूह को ज्यादा-से-ज्यादा तीन मोहल्लों या टोलों में ही जाना है. वहां प्रतीकात्मक रूप में शिकार करें. किसी के घर या बाउंड्री में जाकर शिकार नहीं किया जाना चाहिए. बांध कर रखे गये जानवरों को भी नहीं मारना है. खुले में घूम रहे जानवरों का ही शिकार करें. इसके अलावा चंदा वसूलना भी गलत है.
शिकार से लौट रही हातमा की महिलाअों ने बताया कि उन्होंने बिरसा चौक सहित कई इलाकों में जाकर शिकार किया. कुछ जगह पर लोगों से झगड़ा भी हुई, पर हमलोग अपनी परंपरा को निभायेंगे. प्रभा हेमरोम व सेफाली कालिंदी ने कहा कि हमलोग चंदा नहीं मांग रहे हैं. सिर्फ शिकार कर रहे हैं. क्यों किया जाता है जनी शिकार? इस पर दोनों ने कहा कि बारह साल में यह एक बार होता है. इसमें हमलोग अपने पिताजी या भाई के कपड़े पहन कर शिकार पर निकलती हैं.

Next Article

Exit mobile version