वाहनों का रजिस्ट्रेशन तक नहीं है और थमा दिया ढाई करोड़ का बिल
सतीश कुमार रांची : शहर की सफाई का जिम्मा संभाल रही रांची एमएसडब्लू प्राइवेट लिमिटेड ने सफाई को लेकर रांची नगर निगम को पास ढ़ाई करोड़ का बिल सौंपा है. पर अब तक सफाई कार्य में लगाये गये लगभग 400 छोटे-बड़े वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है. पिछले छह माह से कंपनी की ओर […]
सतीश कुमार
रांची : शहर की सफाई का जिम्मा संभाल रही रांची एमएसडब्लू प्राइवेट लिमिटेड ने सफाई को लेकर रांची नगर निगम को पास ढ़ाई करोड़ का बिल सौंपा है. पर अब तक सफाई कार्य में लगाये गये लगभग 400 छोटे-बड़े वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है. पिछले छह माह से कंपनी की ओर से बिना रजिस्ट्रेशन के वाहनों से शहर में कचरा उठाया जा रहा है. इन वाहनों पर कंपनी की ओर से अपने तरफ से नंबर दिया गया है. वाहनों पर एम-79, जेड-14 आदि के नंबर अंकित किये गये हैं.
रांची में साफ सफाई का जिम्मा रांची एमएसडब्ल्यू के पास है. यह कंपनी रांची नगर निगम और एस्सेल इंफ्रा का ज्वाइंट वेंचर है. कंपनी की ओर से फिलहाल शहर के 20 वार्डों की सफाई करायी जा रही है. वहीं कंपनी ने दावा किया है कि जुलाई से सभी 55 वार्डों में सफाई का काम शुरू हो जायेगा. फिलहाल कचरा उठाने के लिए कंपनी ने करीब 400 छोटे-बड़े वाहन लगाये हैं. इनमें टाटा एस मेगा, टाटा जी, अशोक लीलैंड का ट्रक व ट्रैक्टर हैं. लेकिन, किसी भी गाड़ी के वैध कागजात नहीं हैं. इससे सरकार को लाखों रुपये का राजस्व का नुकसान हो रहा है. यही नहीं अगर बिना निबंधन व बिना वैध कागजात के वाहन से कोई दुर्घटना हो जाती है, तो पीड़ित व्यक्ति को एेसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने में परेशानी होगी. इसके बावजूद न तो परिवहन विभाग और न ही रांची नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई की जा रही है.
एक माह में हो चाहिए गािड़यों का रजिस्ट्रेशन : नयी गाड़ियों के खरीद के एक माह के अंदर इसका रजिस्ट्रेशन कराने का प्रावधान है. अगर इन वाहनों का निबंधन निर्धारित अवधि में नहीं होता है, तो इनसे फाइन लेकर रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है. एक वाहन के रजिस्ट्रेशन का चार्ज लगभग सात से आठ हजार रुपये होता है. अगर इस दर से भी आकलन किया जाये तो रांची एमएसडब्लू को इन वाहनों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए लगभग 32 लाख रुपये जमा कराने होंगे.
खुलेआम चल रहे वाहन, नहीं हो रही कार्रवाई : रांची एमएसडब्लू की ओर से खुलेआम बिना रजिस्ट्रेशन के वाहन चलाये जा रहे हैं. इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है. देय मार्ग पर इनकी ओर से अतिरिक्त कर का भुगतान नहीं किया जा रहा है. इसके बावजूद पुलिस प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. वहीं, दूसरी तरफ शहर में अवैध रूप से चलने वाले ऑटो रिक्शा से अर्थदंड के रूप में रकम की वसूली की जा रही है.