पिठोरिया घाटी बस दुर्घटना : दो साल के प्यार के बाद दूल्हे का शादी ही नहीं गांव से भी टूट गया नाता

रांची : रांची से सटे पिठोरिया घाटी में 23 अप्रैल को हुई बारात गाड़ी दुर्घटना के बाद दूल्हा व उसके परिवार वाले नगड़ी गांव से पलायन कर गये हैं. वे किसी भय से 25 अप्रैल से ही घर से गायब हैं और एक सप्ताह से अधिक समय गुजर जाने के बाद किसी को यह पता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 3, 2017 11:45 AM

रांची : रांची से सटे पिठोरिया घाटी में 23 अप्रैल को हुई बारात गाड़ी दुर्घटना के बाद दूल्हा व उसके परिवार वाले नगड़ी गांव से पलायन कर गये हैं. वे किसी भय से 25 अप्रैल से ही घर से गायब हैं और एक सप्ताह से अधिक समय गुजर जाने के बाद किसी को यह पता नहीं कि वह परिवार आखिर है कहां? हालांकि गांव के लोग यह तर्क देते हैं कि इस दुर्घटना से आहत होकर वे मानसिक शांति के लिए कहीं दूसरी जगह चले गये हैं, वहीं लोगों का यह भी कहना है कि उनके मन में किसी तरह के सामाजिक बहिष्कार का भय रहा होगा, जिस कारण वे गांव छोड़ गये.

इस परिवार की ऐसी दु:खद स्थिति से कई सवाल खड़े होते हैं. बस दुर्घटना का कारण दूल्हा या उसका परिवार नहीं था. वह ड्राइवर व खलासी की गलती थी, जिस कारण नौ लोगों की मौत हो गयी व 71 लोग घायल हो गये. दूल्हा भगत उरांव इस दुर्घटना से इतना दु:खी था कि वह रास्ते से ही लौट गया और शादी के लिए रामगढ़ का पतरातू नहीं गया.

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भगत उरांव गेगदा की रहने वाली सामंती लकड़ा सेपहलेमिला था.इसीदौरान दोनोंएक-दूसरेके करीब आये. शादी के लिए घर वालों को राजी किया. उसके बाद 23 अप्रैल को शादी की तारीख तय हुई और उसी दौरान बारात जाने के क्रम में दुर्घटना हो गयी अौर सारे सपने बिखर गये. भगत उरांव काे इस बात की चिंता थी कि गांव वाले उसे भविष्य में फिर कभी उस लड़की से शादी करने देंगे? या अपशकुन मानकर शादी नहीं करने देंगे?

लोग अब इस बारे में तरह-तरह की बातें कर रहे हैं. कुछ लोग कहते हैं कि अंधविश्वास के कारण दबाव में आकर उस परिवार ने गांव छोड़ा है. वहीं,हुसीरपंचायत के मुखिया विजय उरांव ने कहा कि लोकलाज के भय से गांव छोड़ा होगा. अपने आप को दोषी मानते हुए भगत उरांव का परिवार गांव छोड़ कर कहीं चला गया है.

दरअसल, आने वाले रविवार को नगड़ी में एक बैठक बुलायी गयी थी, जिसमें भगत उरांव के परिवार के साथ क्या करना है इस संबंध में निर्णय लेना था. इससे पहले ही परिवार गांव छोड़ चला गया है. अब जब वह परिवार ही यहां नहीं तो बैठक पर भी सवाल उठ खड़ा हुआ है. बहरहाल, अंधविश्वास में या काल्पनिक भय से ही सही भगत उरांव का परिवार एक ऐसी गलती की सजा भुगत रहा है, जिसे उसने किया ही नहीं.

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