राज्य में बारिश का 4.75% पानी ही हो रहा है रिचार्ज
रांची : झारखंड में बारिश के दौरान ग्राउंड वाटर रिचार्ज सिर्फ 4.75 प्रतिशत ही हो रहा है. 95 प्रतिशत पानी नदी, नाले, पहाड़ों से बह कर समुद्र में चला जा रहा है. इससे पानी का स्तर लगातार कम हो रहा है. झारखंड में ग्राउंड वाटर का स्तर लगातार कम हो रहा है. अधिकतम छह मीटर […]
रांची : झारखंड में बारिश के दौरान ग्राउंड वाटर रिचार्ज सिर्फ 4.75 प्रतिशत ही हो रहा है. 95 प्रतिशत पानी नदी, नाले, पहाड़ों से बह कर समुद्र में चला जा रहा है. इससे पानी का स्तर लगातार कम हो रहा है. झारखंड में ग्राउंड वाटर का स्तर लगातार कम हो रहा है.
अधिकतम छह मीटर तक पानी के स्तर में कमी आ रही है. यह साल-दर साल कम हो रहा है. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के 2015-16 की वार्षिक रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है. बोर्ड की तरफ से 230 कुंओं में पानी के स्तर की समीक्षा की गयी. इसमेंपाया गया कि 70 प्रतिशत कुंओं में
पानी का स्तर दो मीटर से अधिक कम हुआ है. 2015 की तुलना में 2016 में 59 प्रतिशत कुंओं में पानी कम पाया गया. 51 फीसदी में दो मीटर तक पानी का स्तर कम हुआ. जबकि सात प्रतिशत में 4 मीटर तक पानी का स्तर कम हुआ. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य भर में जो सैंपल लिये गये, उसमें से 11 फीसदी कुंओं की गहराई 20 मीटर से अधिक पायी गयी. ये गरमी में सूख जाते हैं. 11 प्रतिशत कुंओं की गहराई पांच मीटर पायी गयी.
ये भी गरमी में सूखते हैं. 74 फीसदी कुंए 10 मीटर से अधिक गहरे पाये गये.सबसे अधिक बारिश का पानी उत्तर प्रदेश में हो रहा है रिचार्ज : देश भर में सिर्फ उत्तरप्रदेश ही ऐसा राज्य है, जहां 42.13 प्रतिशत मानसून का पानी रिचार्ज हो रहा है. बिहार में बारिश का 19.54 प्रतिशत पानी रिचार्ज हो रहा है. झारखंड में अन्य स्रोतों से 0.19 फीसदी पानी रिचार्ज हो रहा है. राज्य भर में गैर मानसून के समय में 1.06 प्रतिशत पानी ही रिचार्ज हो पा रहा है. राज्य भर में सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड
की रिपोर्ट में 5.75 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की उपलब्धता बतायी
गयी है. राज्य भर में औद्योगिक
उपयोग के लिए 0.76 प्रतिशत पानी का उपयोग हो रहा है. सिंचाई के लिए 1.13% पानी उपयोग में लाया जा रहा है. झारखंड में 260 जगहों पर पानी के सैंपल लिये गये थे.
झारखंड में 104 जगहों का पानी ही सुरक्षित
झारखंड में 104 जगहों के पानी को सुरक्षित माना गया है. सेमी क्रिटिकल जोन पांच जगहों को घोषित किया गया है. इसमें रांची का कांके, सिल्ली और रांची सदर का इलाका शामिल है. 34 इलाकों को क्रिटिकल जोन घोषित किया गया है. रांची जिले में फ्लोराइड जगह-जगह पर पाया गया है. रातू, सिल्ली और रांची सदर के आसपास फ्लोराइड अधिक मात्रा में पायी गयी है.
वहीं हजारीबाग, कोडरमा, पलामू में भी फ्लोराइड और नाइट्रेट पानी में पाया गया है. बोकारो में फ्लोराइड, मैंगनीज और जिंक पाया गया है. गोड्डा में फ्लोराइड और नाइट्रेट तथा साहेबगंज में भी आर्सेनिक की मात्रा अधिक पायी गयी है. पाकुड़ में भी फ्लोराइड और आर्सेनिक पाया गया है. बोकारो और चास में भी आर्सेनिक की मात्रा पानी में पायी गयी है.