स्वच्छता सर्वे रांची : नहीं थी तैयारी, आपस में लड़ते रहे अधिकारी
रांची नगर निगम में चल रही थी खींचतान. टॉप-100 में भी शामिल नहीं हो पायी राजधानी स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 प्रतियोिगता का परिणाम जारी रांची : स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 प्रतियोगिता में राजधानी रांची इस वर्ष टॉप-100 शहरों की सूची में भी शामिल नहीं हो सकी है. हालत यह रही कि पिछले सर्वे में देश के सबसे गंदे शहर […]
रांची नगर निगम में चल रही थी खींचतान. टॉप-100 में भी शामिल नहीं हो पायी राजधानी
स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 प्रतियोिगता का
परिणाम जारी
रांची : स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 प्रतियोगिता में राजधानी रांची इस वर्ष टॉप-100 शहरों की सूची में भी शामिल नहीं हो सकी है. हालत यह रही कि पिछले सर्वे में देश के सबसे गंदे शहर का ताज लेनेवाले धनबाद ने भी स्वच्छता के मामले में रांची पीछे रह गयी. पिछले सर्वे में धनबाद को देश के सबसे गंदे शहर के रूप में 73वां रैंक मिला था, जबकि रांची को 62वां रैंक मिला था. वहीं, इस बार रांची को 117 रैंक मिला, जबकि धनबाद की स्वच्छता रैंकिंग इस बार 109 रही.
दरअसल, स्वच्छता की परीक्षा
में रांची के फेल होने के लिए सीधे तौर पर रांची नगर निगम के पदाधिकारी और अधिकारी ही जिम्मेदार माने जायेंगे. जिस समय स्वच्छ सर्वेक्षण प्रतियोगिता चल रही थी, उस समय मेयर आशा लकड़ा और नगर आयुक्त प्रशांत कुमार के बीच अधिकारों को लेकर झगड़ा चरम पर था. कभी मेयर फाइल रख लेतीं, तो कभी नगर आयुक्त फाइल रख लेते. सर्वेक्षण के दौरान पब्लिक टॉयलेट बने, लेकिन झगड़े की वजह से उसमें ताला लटका रहा, जिसकी वजह से रांची को नकारात्मक अंक मिले.
बदहाल सफाई व्यवस्था ने डुबोयी लुटिया
शहर की सफाई व्यवस्था दो अक्तूबर से रांची एमएसडब्ल्यू को सौंप दी गयी थी, लेकिन कंपनी ने शहर के 55 वार्डों में सफाई व्यवस्था शुरू नहीं की. जनवरी तक कंपनी ने केवल 13 वार्डों की सफाई का काम अपने हाथों में लिया था. जब केंद्र सरकार द्वारा हायर की गयी एजेंसी क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) की टीम शहर की सफाई व्यवस्था का जायजा लेने पहुंची, तो उसे प्रमुख सड़कें तो साफ सुथरी मिलीं. लेकिन, गली-मोहल्ले में गंदगी से बजबजाती नालियां अौर कचरे का ढेर दिखा. टीम ने इस दौरान लोगों से पूछा भी कि क्या निगम के कर्मचारी प्रतिदिन कूड़ा उठाने आते हैं. इस पर लोगों ने भी नकारात्मक जवाब दिया. शहर से निकलनेवाले कचरे को झिरी में डंप करने अौर उसके उचित निस्तारण नहीं होने के कारण भी स्वच्छता रैंकिंग में रांची फिसल गयी. शहर के सफाई व्यवस्स्था में लगे वाहनों में जीपीएस सिस्टम के नहीं होने व सफाई कर्मचारियों की बायोमेट्रिक अटेंडेंस नहीं बनाये जाने को लेकर भी रांची नगर निगम के अंक काटे गये.
खुले में शौच भी बना असफलता का कारण
राजधानी को खुले से शौच मुक्त करने के लिए रांची नगर निगम ने लोगों से शौचालय बनाने का आग्रह किया. 34 हजार से अधिक लोगों को शौचालय निर्माण के पैसे भी दे दिये गये, लेकिन बहुत से लोगों ने पैसे लेकर भी शौचालय नहीं बनवाया. केंद्र की टीम जब ऐसे मोहल्लों में विजिट करने पहुंची, तो उन्हें वास्तविकता कुछ और दिखी. इस कारण भी रैंकिंग थोड़ी खराब हुई. सड़कों पर लोग खड़े होकर लघुशंका न करें, इसके लिए नगर निगम की अोर से चौक-चौराहों पर 80 मॉड्यूलर टाॅयलेट का निर्माण किया जाना था. जब केंद्र की टीम विजिट करने के लिए राजधानी आयी, तो अधिकतर जगहों के शौचालय पर ताला लटका हुआ था. मजबूरन लोग सड़कों पर ही लघुशंका करते थे.
स्वच्छ सर्वेक्षण में इसलिए फेल हो गयी रांची
पिछले सर्वे में देश के सबसे गंदे शहर का ताज लेनेवाले धनबाद से भी पीछे रही रांची
स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान ही चल रही थी मेयर और नगर आयुक्त के बीच लड़ाई
एक भी वार्ड नहीं हो सका खुले में शौच से मुक्त, डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का अभाव
साफ-सफाई के अलावा सार्वजनिक शौचालयों की कमी के कारण भी पिछड़ गयी रांची
स्वच्छ सर्वेक्षण में रांची की रैंकिंग को चुनौती के रूप में लेता हूं : सीपी सिंह
नगर विकास मंत्री एवं रांची के विधायक सीपी सिंह ने कहा कि स्वच्छता रैंकिंग को वे चुनौती के रूप में लेते हैं. इससे सीख लेते हुए आगे और बेहतर करने की सोच मेयर, डिप्टी मेयर और अधिकारियों को रखनी चाहिए. उन्होंने चास और जमशेदपुर के अधिकारियों को बधाई भी दी है. उन्होंने कहा कि 434 शहरों में झारखंड के सारे शहर 150 से नीचे हैं. चार शहर टॉप 100 में हैं. जिन्हें बेहतर रैंकिंग मिली है, उन्हें अब और टॉप पर आने का प्रयास करना चाहिए. विभाग के मंत्री होने के नाते वह सभी निकायों को बधाई देना चाहते हैं कि उन्होंने बेहतर करने का प्रयास किया है. इसे चुनौती के रूप में लेते हुए अगले वर्ष और बेहतर करेंगे ऐसी उम्मीद है.
पिछले साल के तुलना में हमारी रैंकिंग इंप्रुव हुई है. इंडीविजुअल टॉयलेट की संख्या में हम और बढ़ोतरी कर सकते थे, जो नहीं हुई. इसके चलते हमें अंक भी कम मिले. साफ-सफाई में हमारी स्थिति अच्छी थी. इसका बेहतर परिणाम भी हमें मिला. इस वर्ष जो भी कमियां रह गयी हैं, उन्हें आनेवाले वर्ष में दूर कर लिया जायेगा.
प्रशांत कुमार, नगर आयुक्त
राजधानीवासियों से प्रभात खबर की अपील
स्वच्छ सर्वेक्षण-2017 प्रतियोगिता में राजधानी रांची इस वर्ष भी बेहत प्रदर्शन नहीं कर पायी. यह चिंता का विषय है, क्योंकि प्रतियोिगता के तहत मिली रैंिकंग से पूरे देश में शहर की छवि तैयार होगी. जािहर है अन्य शहरों के लोग अपने मन में रांची की स्वच्छता को लेकर गलत धारणा बनायेंगे. शहर की इस असफलता के लिए जितना जिम्मेदार रांची नगर निगम है, उतने ही िजम्मेदार यहां के लोग भी हैं. राजधानी की आबादी 16 लाख से अधिक है और इसमें दिनोंदिन इजाफा भी हो रहा है. शहर को साफ रखने के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं चाहिए, बल्कि यहां के लोगों को जिम्मेदार बनना होगा. जहां-तहां खुले में कचरा फेंकना, थूकना, खुले में शौच और लघुशंका करना जैसी बुरी आदतें हमें छोड़नी होंगी. इन सबके बाद जिम्मेदारी आयेगी रांची नगर निगम की. निगम के अधिकारियों को भी अपनी आपसी लड़ाई छोड़ कर शहर के विकास और इसे स्वच्छ बनाने के बारे में सोचना होगा.